विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने 22 दिसंबर को कहा कि वह 12 निलंबित सांसदों की ओर से खेद प्रकट करने के लिए तैयार हैं, जिससे सरकार सहमत नहीं थी क्योंकि वह इसे आगे बढ़ाना चाहती थी और बिना किसी प्रकार की चर्चा किए ही बिल पारित करना चाहती थी.
उन्होंने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने उन पर दबाव डाला है और सदन के संरक्षक के रूप में उन्होंने ट्रेजरी और विपक्षी बेंच में हुए गतिरोध को हल करने का कोई प्रयास नहीं किया.
इस पूरे सेशन के दौरान सांसदों के निलंबन को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है.
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में कांग्रेस के प्रमुख जयराम रमेश के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार सांसदों के निलंबन को हल करने की कोई कोशिश नहीं कर रही है. जिस दिन सांसदों को सस्पेंड किया गया, मैं उसी दिन सभी सांसदों की ओर खेद प्रकट करने के लिए तैयार था. उन्होंने कहा कि इसे और आगे क्यों ले जाएं.
जयराम रमेश ने कहा कि खड़गे ने 29 नवंबर और 30 नवंबर को राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से कहा था कि वह सभी की ओर से खेद व्यक्त करने के लिए तैयार हैं, लेकिन गोयल पहले दिन से ही जोर दे रहे थे कि सभी निलंबित सदस्यों को माफी मांगनी चाहिए.
मैंने इसके बारे में बाद में सोचा, उनका इरादा हर बिल को बिना किसी चर्चा किए हंगामे में तुरंत पारित करना था. वे अपना एजेंडा पूरा करना चाहते थे...वे ऐसा क्यों कर रहे थे? यूपीए के राज्यसभा में 68 सदस्य हैं, अन्य विपक्षी दलों के पास 50 हैं और दो निर्दलीय हैं. इस प्रकार विपक्ष के पास 120 की ताकत है और एनडीए के पास 118 सदस्य हैं. इसलिए उन्होंने सोचा कि अगर विधेयकों पर वोटिंग हुई तो, उन्हें कम वोट मिलेंगे. इसलिए उन्होंने पहले ही दिन 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया.मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा सांसद, कांग्रेस
'सरकार ने रची साजिश'
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा कि सरकार ने साजिश रची थी, वो सभी विधेयकों को पारित करना चाहते थे और राष्ट्रीय हित के मुद्दों मंहगाई, बेरोजगारी, जीडीपी, किसान और लखीमपुर खीरी कांड में अजय मिश्रा के स्तीफे पर चर्चा करने से बचना चाहते थे. उनका इरादा ही सदन को बाधित करना था, जिससे इन सभी मुद्दों पर जवाब न देना पड़े.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि थोड़ी सी बात पर सदन स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि कम से कम कुछ देर तो हमारी बातें सुनी जानी चाहिए. जैसे ही मैं बोलने के लिए उठा...बोलने से पहले ही सभापति सदन को स्थगित कर दिया गया.
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