महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक बनाम समीर वानखेड़े की चल रही गाथा में एक और नया सबूत सामने आया है. मलिक की बेटी ने एक मैरिज सर्टिफिकेट और रिसेप्शन का इंविटेशन कार्ड पेश कर कई नए सवाल खड़े कर दिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक की बेटी निलोफर मलिक-खान ने शनिवार देर रात विवाह अधिकारी जे.जी. बरमेड़ा द्वारा बांद्रा मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी विवाह प्रमाणपत्र पोस्ट किया. इसमें 3 गवाह हैं - यास्मीन अजीज खान, निखिल छेड़ा और ग्लेन पटेल के अलावा दूल्हे समीर वानखेड़े और दुल्हन डॉ. शबाना कुरैशी के हस्ताक्षर हैं.
नीलोफर ने 7 दिसंबर, 2006 को शाम 7 बजे के लिए निर्धारित निकाह समारोह के साथ विवाहित जोड़े के शादी के रिसेप्शन कार्ड की एक प्रति भी खोज निकाली.
दिलचस्प बात यह है कि दूल्हे का नाम समीर (श्री दाऊद और श्रीमती जाहेदा वानखेड़े के बेटे) के रूप में छपा हुआ है और स्थल पॉश इलाका अंधेरी पश्चिम में लोखंडवाला गार्डन था, जिसमें तत्कालीन लैंडलाइन टेलीफोन नंबर 56015325 अंकित है.
निलोफर ने कमेंट लिखा, मिस्टर वानखेड़े और उनके परिजन सभी सबूतों के बावजूद इनकार कर रहे हैं, यहां सभी के लिए सबूत का एक और टुकड़ा है - समीर दाऊद वानखेड़े की शादी का निमंत्रण कार्ड. अजीब बात यह है कि एक व्यक्ति जिसने मान्यताओं के आधार पर गिरफ्तारी की मांग की, मगर इस तरह के मजबूत तथ्य को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
इससे पहले, उन्होंने कहा, किसी के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद सच्चाई को लंबे समय तक छुपाया नहीं जा सकता. समीर वानखेड़े का इतिहास एक भानुमती का पिटारा है और कंकाल अब कोठरी से बाहर निकलकर गिरने लगे हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या करते हैं, मगर हम उजागर करेंगे पूरा सच.
संकटग्रस्त अधिकारी की पत्नी क्रांति रेडकर-वानखेड़े ने हाल के दिनों में न केवल राज्य के मंत्री, बल्कि उनकी बेटी के खिलाफ भी वानखेड़े परिवार के सम्मान और इतिहास का बचाव करते हुए युद्ध छेड़ दिया है - दोनों ही दांव पर लगते हैं.
क्रांति राकांपा नेता को कभी-कभी चाचाजी के रूप में भी संदर्भित करती हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह सम्मान है या अपमान.
इस बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास अठावले के बाद शनिवार को वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश अंबेडकर समीर वानखेड़े के समर्थन में उतर आए.
मलिक ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उनकी लड़ाई समीर वानखेड़े के धर्म या परिवार के खिलाफ नहीं है, बल्कि उनका मकसद आरक्षित वर्ग के माध्यम से आईआरएस में सरकारी नौकरी पाने के लिए वानखेड़े द्वारा जमा किए गए कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लक्षित करना है और इस तरह एक योग्य दलित को नौकरी पाने से वंचित किए जाने का मुद्दा उठाना है.
पढ़ें ये भी: ये इमोशनल अत्याचार से क्या कम है कि जेल में कैदियों को फोन करने का भी हक नहीं
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)