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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रों पर गैंगस्टर एक्ट: बेकसूरों को फंसाया?

Allahabad university के छात्रों पर गैंगस्टर एक्ट के पीछे क्या राजनीति है?

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राज्य
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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय (University of Allahabad) के छात्रों और स्थानीय दुकानदारों के बीच पिछले साल हुए विवाद के मामले में कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

इस मामले में, जहां दुकानदार पक्ष का आरोप है कि छात्रों ने दुकान पर बम फेंके थे, वहीं छात्र पक्ष का कहना है कि कई बेकसूरों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाकर उनका करियर दांव पर लगा दिया गया है.

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क्या है मामला?

3 फरवरी 2020 को मनमोहन चौराहे पर कटरा व्यवसायी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हिंदू हॉस्टल के छात्रों के बीच विवाद हो गया था. 4 फरवरी 2020 को कर्नलगंज थाने में दर्ज FIR के मुताबिक, आरोप है कि हिंदू हॉस्टल की ओर से आकर करीब 20 लड़कों ने रतन साड़ी सेंटर को टारगेट करते हुए 8 से 10 बम फेंके थे.

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''बेकसूरों को फंसाया गया''

हालांकि, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने क्विंट को बताया कि "दरअसल यह मामला चाय में नमक और अदरक को लेकर छात्र और चाय दुकान वाले के बीच हुई बहस का नतीजा था. लेकिन कोई मारपीट नहीं हुई न ही कोई कैजुअल्टी हुई. बावजूद इसके 307 की धारा लगा दी गई. अहम बात यह है कि मुकदमा किसी व्यवसायी ने नहीं किया था, बल्कि कर्नलगंज थाने की पुलिस ने खुद वादी बनकर 18 लोगों पर नामजद और 7 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया.''

अखिलेश ने आरोप लगाया कि कुछ छात्र जिनका नाम FIR में था ही नहीं उनकी भी गिरफ्तारी हो गई. उन्होंने कहा, ''गिरफ्तार लोगों में ऐसे लोग भी थे जो दो-चार साल पहले ही पास होकर विश्वविद्यालय छोड़ चुके थे. उदाहरण के लिए अमित सिंह, उनका 18 लोगों में नाम नहीं था. तब वह काशी विद्यापीठ से B.Ed कर रहे थे. उनको पुलिस ने ज्ञानपुर से पकड़ा.''

इसके आगे उन्होंने कहा, ''गिरफ्तार लड़कों को एक ही सुनवाई में जमानत मिल गई. जमानत इसलिए मिली क्योंकि मुकदमा 307 का था लेकिन कैजुअल्टी नहीं थी. छात्र होली की वजह से अपने घर चले गए, लेकिन 26 अप्रैल को दस लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया. उसके बाद से छात्रों की धरपकड़ के लिए उनके घर में पुलिस बार-बार जाती रही है, जो अब तक जारी है. कई बार तो पुलिस छात्र के परिजनों को भी कर्नलगंज थाना में बिठा चुकी है."

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इस मामले को लेकर कटरा राजा पट्टी व्यापार मंडल के महामंत्री व्यवसायी संजय गुप्ता का कहना है कि "जब हॉस्टल के छात्रों ने मनमोहन पार्क की दुकान में बम फेंके तब व्यापार मंडल ने प्रोटेस्ट के तौर पर बाजार बंद कर दिया. हम लोगों को व्यापार करना है, हमें दुकान पर बैठना है. अगर हम कुछ करते तो क्या पता छात्र हमारे साथ क्या-क्या करते, फिर कुछ बवाल होता, हॉस्टल के लड़के फिर मारपीट करते, इसलिए हम केस में वादी नहीं बने. पुलिसवालों को जो ठीक लगा, उन्होंने वो कार्रवाई की."
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गैंगस्टर एक्ट के तहत जिन 10 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें से अमन कुमार मौर्य, यशवंत सिंह और अमित कुमार सिंह का नाम पिछली FIR में नहीं था. जबकि मृदुल तिवारी, विकास राय, तेजस्वी सिंह, अमन गुप्ता, प्रकाश शुक्ला, गौरव यादव और आशुतोष उर्फ अन्नू पासी के नाम पिछली FIR में भी थे.

अखिलेश यादव के मुताबिक, ''जिन लोगों पर गैंगस्टर एक्ट लगा उनमें से विकास तिवारी 2014 के पास आउट हैं, वह अपने गांव में रहते थे. जबकि अमन गुप्ता हॉस्टल के छात्र थे. जब पुलिस आई तो वह खाना लेकर आ रहे थे, पुलिस को हॉस्टल में घुसता देखकर उन्होंने पुलिस से कुछ कहा, इस पर पुलिस ने कहा कि यह ज्यादा बोल रहा है इसको भी ले चलो. अन्नू पासी पासआउट थे, साथ ही यूपी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे. अमित कुमार 2016 के पास आउट थे और टेट क्वालीफाई थे और UPSC की तैयारी कर रहे थे. ये मामला तो हर छात्र के लिए दर्दनाक है, लेकिन प्रकाश शुक्ला के लिए बहुत ही दर्दनाक है. प्रकाश शुक्ला ने IIT- JAM की परीक्षा पास की थी, लेकिन गैंगस्टर एक्ट लगने की वजह से वह एडमिशन नहीं ले सके. अगर उनका दाखिला हो जाता तो आज वह Phd. कर रहे होते. कुल मिलाकर ये छात्र बेकसूर हैं जिनका गैंगस्टर एक्ट की वजह से करियर दांव पर है.''

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अन्नू पासी का कहना है,

"2016 में इलाहाबाद जिले के सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिलने के बाद मैंने हॉस्टल छोड़ दिया था. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन मैं झूसी में था. लेकिन पढ़ाई के दिनों से चिढ़े एक दुकानदार ने मेरा नाम इस घटना की FIR में डलवा दिया. जबकि इस घटना से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन मेरा नाम घटना से जुड़ने के बाद मैं मानसिक तौर पर टूट गया. 25 फरवरी को मेरी शादी थी मैं 23 फरवरी को छूटा. मेरी सामाजिक छवि धूमिल हो गई थी कि यह अपराधी है, जेल से छूटकर आया है. मैं हर किसी के सामने गिड़गिड़ाता रहा कि मेरी लोकेशन निकलवाइए और देखिए कि मैं घटना स्थल पर नहीं था. लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. शादी के थोड़े दिनों बाद अप्रैल में मेरे ऊपर गैंगस्टर (एक्ट) लग गया. मैंने हाई कोर्ट से स्टे ले लिया, आज नौकरी तो कर रहा हूं लेकिन मानसिक तौर पर बहुत तनाव में हूं."
अन्नू पासी, पूर्व छात्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय

हिंदू हॉस्टल के छात्र प्रकाश शुक्ला के दादा हरिहर प्रसाद शुक्ला ने क्विंट को बताया कि "वह 90% अंक हासिल करने वाला छात्र है. मैं खुद शिक्षक के पद से रिटायर हुआ हूं. प्रकाश के पिता भी सरकारी शिक्षक हैं. हमारा बेटा कैसे ऐसा काम कर सकता है. वह पढ़ने में बहुत तेज था इसलिए उसको फंसा दिया गया. पहली FIR हुई तो उसकी जमानत ले ली गई लेकिन गैंगस्टर (एक्ट) लगने के बाद अच्छा वकील न मिलने के कारण जमानत नहीं हो सकी. इस वक्त हमारा परिवार मानसिक तौर पर तनाव में है. 25 मई को जब पुलिस ने हमारे घर में प्रकाश के लिए दबिश दी तब प्रकाश रायबरेली में कोई परीक्षा देने गए थे. जबकि उसका भाई आकाश घर पर था. पुलिस आकाश को लेकर प्रयागराज चली गई. जब प्रकाश ने खुद को कर्नलगंज थाने में हाजिर किया तब आकाश को पुलिस ने छोड़ा. IIT-JAM क्वालीफाई करने के बाद भी वह कहीं प्रवेश नहीं ले सका. अब हाई कोर्ट ही आखरी उम्मीद है."

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छात्रों को राजनीति का शिकार बनाया गया?

अखिलेश यादव का कहना है, "कटरा कर व्यापारिक नेता प्रयागराज पश्चिम से विधायक सह मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी के करीबी हैं. मंत्री की पत्नी शहर की मेयर हैं. इन लोगों के प्रभाव के कारण पुलिस ने खुद वादी बनकर मुकदमा दर्ज किया. दरअसल लोकल व्यापारी मंत्री के वोटर हैं, छात्र दूसरे शहर के हैं इसलिए (उनके) मतदाता नहीं हैं. यही वजह है कि छात्रों को राजनीति का शिकार बनाया गया. जबसे मैं इन छात्रों के लिए आंदोलन कर रहा हूं मुझे भी मना किया जा रहा है कि इन सब चीजों में मत पड़िए. मुझे भी डर लगता है कि क्या पता हमारे ऊपर भी फर्जी केस कर के जेल में डाल दिया जाए. मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय का निर्वाचित छात्रसंघ उपाध्यक्ष होने के साथ NSUI का प्रदेश अध्यक्ष हूं. इसलिए हम लोग इन छात्रों को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठा रहे हैं."

यादव ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति को कुचलने के लिए छात्र यूनियन भंग कर दी गई, 2018 के बाद से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव बंद हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गैंगस्टर एक्ट लगाकर आम छात्रों को प्रताड़ित कर यह संदेश दिया जा रहा है कि छात्रों की आवाज उठाने के लिए छात्र राजनीति अब खड़ी न हो पाए.

वहीं बीजेपी नेता अवधेश चंद्र गुप्ता का कहना है,

"अब छात्रों का उपद्रव तो हमेशा होता है, इसमें मैटर क्या है. जब छात्र अपराध करेंगे, बम चलाएंगे तो गैंगस्टर तो लगेगा ही. मंत्री जी क्यों दबाव देंगे, जब छात्र अपराध करेंगे तो शासन-प्रशासन छोड़ेगा थोड़े ही. पुलिस अपना काम कर रही है शासन-प्रशासन अपना काम कर रहा है. मुझे नहीं लगता किसी बेकसूर पर कार्रवाई हुई है."
अवधेश चंद्र गुप्ता, जिला अध्यक्ष महानगर प्रयागराज, भारतीय जनता पार्टी
Allahabad university के छात्रों पर गैंगस्टर एक्ट के पीछे क्या राजनीति है?

इस मामले को लेकर हाल ही में बीएचयू में एनएसयूआई के छात्रों ने प्रदर्शन किया

(फोटो:क्विंट हिंदी)

इस मामले को लेकर हाल ही में बीएचयू में एनएसयूआई के छात्रों ने प्रदर्शन किया था. लेकिन इस पर ABVP की क्या राय है, हमने ये भी जानने की कोशिश की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से PG कर रहे विक्रांत सिंह का कहना है-

''मैं ABVP से 2015-16 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन का निर्वाचित उपाध्यक्ष रहा हूं. गैंगस्टर जिस मामले को लेकर लगा उस मामले से ABVP का कोई लेना देना नहीं था. लेकिन गैंगस्टर लगने के बाद हमने ABVP के बैनर तले विभिन्‍न अधिकारियों को ज्ञापन दिया कि किसी भी छात्र के साथ पेशेवर अपराधी जैसी कार्रवाई न हो? कभी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो जाए तो भी छात्र के करियर को ध्यान में रखते हुए पेश आना चाहिए. गैंगस्टर जैसी कार्रवाई करते समय बहुत संवेदनशील होना चाहिए. क्योंकि गैंगस्टर लगने के बाद छात्र किसी परीक्षा में नहीं बैठ सकता. ऐसी कार्रवाई छात्र के भविष्य को तबाह कर सकती है. मुझे लगता है कि कि ढिलाई प्रशासन के स्तर से हुई है. ऐसी घटनाओं की विवेचना में पुलिस को तेजी लानी चाहिए.''

दस छात्रों पर लगे गैंगस्टर एक्ट को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर हर्ष कुमार ने क्विंट से कहा -

"जब सामूहिक चीजें घटित होती हैं तब एक दो निर्दोष भी चपेट में आ सकते हैं. लेकिन इसमें विश्वविद्यालय क्या कर सकता है. अगर घटना कैंपस में हुई होती तो निश्चित रूप से विश्वविद्यालय इसमें संज्ञान लेता. अब मामला कैंपस के बाहर का है, छात्र झुंड बनाकर गए, मारपीट कर ली. कटरा के व्यापारियों का टेम्परामेंट बड़ा अजीब है. सैकड़ों साल का इतिहास रहा है कि छात्र इनसे जीत नहीं पाए. इनको पॉलिटकल संरक्षण भी रहता है, वोट की राजनीति भी है. यह सब पचास साल से मैं ही देख रहा हूं."
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पुलिस का क्या कहना है?

CO सिटी चतुर्थ प्रयागराज, अजीत सिंह चौहान ने बताया, "गैंगस्टर के मुकदमे में पांच लोग जेल जा चुके हैं, पांच बाकी हैं. इसकी जो चार्जशीट मनमोहन पार्क में बमबारी को लेकर लग चुकी है उसके अनुसार ही कार्रवाई हुई है, मेरी उस वक्त यहां पोस्टिंग नहीं थी. वैसे उस समय व्यापारियों ने बहुत प्रोटेस्ट किया था तब गैंगस्टर लगा था. अब मामला कोर्ट में है पुलिस कुछ नहीं कर सकती.''

उन्होंने कहा, ''जिन लोगों को लगता है कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है या वे वहां नहीं थे, यह सब बातें उस वक्त के अधिकारियों को बताते, जैसे आज एक छात्रसंघ के नेता ने मुझे बताया. बहरहाल उनको न्यायालय में खुद को साबित करने का मौका मिलेगा. वह सारे सबूत अपने साथ रखें ताकि न्यायालय के सामने रख सकें. रही बात जिन पासआउट के नाम मुकदमे में हैं, वे जरूर इलाहाबाद में रहते होंगे.''

चौहान ने कहा कि पुलिस निराधार काम तो नहीं करती, उस समय के अधिकारी ने सब कुछ चेक करने के बाद ही कार्रवाई की होगी.

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