पंजाब कांग्रेस के अंदर चल रहे सियासी घमासान के बीच अब राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी से 6 जुलाई को मुलाकात करेंगे. कांग्रेस पार्टी लगातार पंजाब में नेताओं के बीच चल रही कलह को दूर करने में लगी हुई है. नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम अमरिंदर सिंह आमने-सामने हैं, दोनों नेता मीडिया में एक दूसरे पर खुलकर हमले भी कर रहे हैं.
पंजाब में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले कांग्रेस पार्टी चाहती है कि वो नेताओं के बीच मतभेदों को खत्म करके संगठन को एकजुट करे.
इसके पहले नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकात पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से हो चुकी है. राहुल गांधी भी एक के बाद एक लगातार पंजाब के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में उन्होंने विजेंद्र सांगला, राना गुरजीत सिंह शमशेर सिंह ढिल्लन जैसे नेताओं से दिल्ली स्थित अपने आवास पर मुलाकात की है.
तीन सदस्यीय कमेटी से क्या हल निकला?
अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच बढ़ते विवाद और पार्टी में गुटबाजी को देखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कुछ दिनों पहले किया था. कमेटी में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत और पूर्व सांसद जय प्रकाश अग्रवाल शामिल थे.
इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिंह को मुख्यमंत्री बनाए रखने की सलाह दी है.खबरें हैं कि पैनल ने विधायक, सांसद, संगठन, चुनावों के असफल उम्मीदवार समेत करीब 150 नेताओं से बातचीत की है. लेकिन ऐसा लगता है कि सोनिया इससे संतुष्ट नहीं हुई हैं. क्योंकि पैनल में शामिल रहे और महासचिव इंचार्ज हरीश रावत का कहना है कि सोनिया ने पंजाब में स्वतंत्र सर्वे का आदेश दिया है.
अपनों का विरोध झेलते रहे हैं अमरिंदर सिंह!
ऐसे में इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी विवाद है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है.पूरे विवाद में कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ सबसे मुखर आवाज फिलहाल नवजोत सिंह सिद्धू ही हैं.अमरिंदर सिंह को पहले राजिंदर कौर भट्टल और बाद में प्रताप सिंह बाजवा जैसे नेताओं के भी विरोध का सामना करना पड़ा है. बाजवा अभी भी कैप्टन विरोधी गुट में बने हुए हैं. लेकिन अब इस खेमे के प्रमुख किरदार नवजोत सिद्धू बन गए हैं.
कैप्टन और सिद्धू के बीच का विवाद है क्या ?
पंजाब में कांग्रेस की सत्ता आने के बामुश्किल एक साल के बाद ही कैप्टन और सिद्धू के बीच मतभेद शुरू हो गए थे. 2017 के विधानसभा चुनावों के पहले जब सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी, तब उनके मन में खुद के लिए एक बड़े ओहदे की उम्मीद थी. लेकिन बाद में उन्होंने खुद के लिए कैप्टन को इसमें बाधा के तौर पर पाया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)