कोरोना महामारी के बीच बिहार में ब्लॉक लेवल पर बने सभी क्वारंटीन सेंटर 15 जून से बंद कर दिए जाएंगें. सरकार ने यह निर्णय उस समय लिया है, जब राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार के मुताबिक
“जितने प्रवासियों को बिहार आना था वे सभी यहां पहुंच चुके हैं या आने के क्रम में हैं. इस वक्त में दो सप्ताह का क्वारंटीन पीरियड भी पूरा हो जायेगा. इसी परिपेक्ष्य में यह निर्णय लिया गया है. इसके अलावा जो भी दिशा- निर्देश केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए हैं. उनका अनुपालन बिहार सरकार करेगी”.
उधर आपदा प्रबंधन विभाग निर्णय ले चुका है कि एक जून से प्रदेश आये मजदूरों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया जाएगा. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने 31 मई को इस संबंध में आदेश जारी कर राज्य के सभी जिलाधिकारियों को सूचना दे दी है.
विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक अनलॉक- 1 (1 जून) लागू होने के बाद से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आये यात्रियों के अलावा या किसी अन्य माध्यम से राज्य में पहुंचे लोगों का ब्लॉक लेवल पर रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा.
इन तमाम फैसलों को लेकर राज्य सरकार के अपने तर्क हैं, लेकिन जब कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं तो न फैसलों को लेकर सवाल उठना लाजिमी है.
एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक डा डीएम दिवाकर कहना है कि
यह सब चुनावी तैयारी के लिए किया जा रहा है. आंकड़े भी छिपाये जा रहे हैं. जाहिर है आंकड़े बढ़ेंगे तो चुनावी तैयारी पर असर पड़ेगा.
क्वारंटीन सेंटरों में उपजा भ्रष्टाचार भी सुर्खियों में हैं. ऐसे में जरुरत थी कि क्वारंटीन सेंटर के इंतजामों को और मजबूत किया जाता, उन पर सख्त निगरानी रखी जाती और सेंटर को जारी रखा जाता.
जब राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था क्वारंटीन सेंटर में आए बीमार की मदद नहीं कर पा रही है तो उससे कैसे उम्मीद की जाये कि वह घर- घर जाकर जांच कर सकेगी.
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दूबे भी सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार
हो सकता है कि अनलॉक- 1 के बाद सरकार यह सोच रही हो कि जब सब कुछ खुल ही गया है तो क्वारंटीन सेंटर रखने का क्या फायदा. बाहर से आने वाले लोगों की संख्या घट गयी है. यह भी सरकार का एक पक्ष हो सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि राज्य से लोगों के आने-जाने का यह सिलसिला जारी रहेगा. क्वारंटीन सेंटर को बंद करने का फैसला अव्यवहारिक है और ऐसे निर्णय बार-बार लिए जा रहे हैं.
अनलॉक- 1 से पहले बिहार सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए तीन स्तर पर क्वारंटीन सेंटर चला रही थी- ब्लॉक, पंचायत और ग्राम.
- सरकार ने 11 शहरों जैसे दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, बंगलुरु और पुणे से आये प्रवासियों को ब्लॉक स्तर के क्वारंटीन सेंटर में रखा.
- देश के अन्य शहरों से आये मजदूरों को होम क्वारंटीन करने का फैसला 22 मई को लिया गया था.
- लॉकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे 21 लाख प्रवासियों की घर वापसी के लिए 1506 विशेष श्रमिक ट्रेन चलायी गईं.
- बिहार में मई माह तक ब्लॉक लेवल पर 12,251 क्वारंटीन थे, जिसमें 13,31,266 प्रवासी मजदूर थे. इनमें से 7,94,474 अपनी क्वारंटीन अवधि पूरी कर घर जा चुके हैं.
- स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 9 जून तक राज्य में 105588 सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 5364 लोग संक्रमित हैं. इनमें3853 ऐसे हैं जो 3 मई के बाद अन्य राज्यों से बिहार आये हैं.
- अब तक कुल 33 लोगों की मौत हो चुकी है.
इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कोरोना से निपटने के इंतजामों पर असर तो पड़ेगा ही. लेकिन वो असर लोगों के अच्छे के लिए होगा या बुरे के लिए- बड़ा सवाल यही है.
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