बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के मौके पर जाति आधारित गणना (Bihar Caste Survey) की रिपोर्ट जारी की. अब जाति गणना के आंकड़े पर सियासत तेज हो गई है. एक ओर सरकार इसे उपलब्धि बता रही है तो दूसरी ओर बीजेपी इसके आंकड़ों पर सवाल उठा रही है. इसी बीच सीएम नीतीश कुमार ने 3 अक्टूबर को सभी दलों की बैठक बुलाई है.
सीएम नीतीश कुमार सभी दलों के साथ जाति आधारित गणना के आंकड़ों पर चर्चा करेंगे. इस बैठक में बिहार के 9 दलों के नेता शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लोगों के सामने जातीय गणना से संबंधित आंकड़ों का प्रेजेंटेशन देंगे.
जातीय गणना के आंकड़ों का प्रेजेंटेशन देंगे अधिकारी
जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद नीतीश कुमार ने 2 अक्टूबर को कहा था कि राज्य सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है लेकिन आगे क्या कदम उठाया जाएगा, इस पर अभी कुछ नहीं बोलेंगे.
बिहार के सारे राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी गई है. बैठक में राज्य सरकार के अधिकारी जातीय जनगणना पर प्रेजेंटेशन देंगे. उसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा.
ईबीसी और पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे अधिक
जाति गणना की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में हिंदू आबादी 81.99 प्रतिशत और मुस्लिम 17.70 फीसदी बताया गया है. जबकि कोई धर्म नहीं मानने वालों की संख्या 0.0016% है. अधिकारियों के मुताबिक, जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है.
वर्ग के हिसाब से आंकड़ों की बात करें तो अति पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा (36.01%) है. दूसरे नंबर पर पिछड़ा वर्ग (27.12%), अनुसूचित जाति (19.65%), अनुसूचित जनजाति (1.68%) और सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है.
अगर जातीय आधार पर आबादी की बात करें तो यादव की आबादी सबसे ज्यादा (14.26%) है. रविदास (5.2%), कोइरी (4.2%), ब्राह्मण (3.65%), राजपूत (3.45%), मुसहर (3.08%), भूमिहार (2.86%), तेली (2.81%), कुर्मी (2.8%), मल्लाह (2.60%), बनिया (2.31%) और कायस्थ की आबादी (0.60%) है.
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