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बिहार विधानसभा अध्यक्ष कौन बनेगा?सिन्हा का इस्तीफे से इनकार, RJD से चौधरी का नाम

इस्तीफे से इनकार करने के बाद सिन्हा ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इस्तीफा देने से स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी.

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बिहार (Bihar) में विधानसभा अध्यक्ष को लेकर सियासी पारा गर्म है. विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. वहीं महागठबंधन की ओर से अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Choudhary) के नाम पर मुहर लगी है. पटना में राबड़ी आवास पर RJD विधानमंडल दल की बैठक हुई. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पार्टी के सभी विधायक और पदाधिकारी मौजूद रहे. RJD की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष (Assembly Speaker) के लिए अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Choudhary) के नाम की घोषणा की गई है. इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सभी विधायकों को आज सदन में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.

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मुख्यमंत्री नीतीश से मिले तेजस्वी

बैठक के बाद तेजस्वी यादव सीएम आवास गए, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. तेजस्वी ने सीएम को इस फैसले की जानकारी दी. वहीं सीएम से मुलाकात के बाद RJD ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है. अब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के अलावा कोई दूसरा नेता मीडिया के सवालों का जवाब नहीं देगा.

कौन हैं अवध बिहारी चौधरी?

76 वर्षीय अवध बिहारी चौधरी RJD के सीनियर लीडर हैं. लालू यादव के करीबी माने जाते हैं. वो सीवान विधानसभा से छठी बार विधायक बने हैं. 2020 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश यादव को करीब 2 हजार वोटों से हराया था. चौधरी राबड़ी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

स्पीकर विजय सिन्हा ने किया इस्तीफे से इनकार

वहीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि जो उन्हें नोटिस दी गई है वह नियमों और प्रावधान के खिलाफ है. इस्तीफे से इनकार करने के बाद सिन्हा ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इस्तीफा देने से मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी.

वहीं RJD सांसद मनोज झा ने ट्वीट किया कि बिहार में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ 1960/1970 में भी अविश्वास प्रस्ताव आया था. 60 में अध्यक्ष ने शालीनता से स्वयं आसन छोड़ दिया और 70 में प्रस्ताव ही वापस ले लिया गया. वर्तमान अध्यक्ष से उम्मीद है कि श्रेष्ठ संसदीय परम्पराओं के अनुरूप बहुमत के अविश्वास के आलोक में आसान छोड़ दें.

इनपुट- तनवीर आलम

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