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हैदराबाद: सोसाइटी में काम करनेवाली मेड, ड्राइवर के लिफ्ट इस्तेमाल करने पर फाइन

वर्कर यूनियन ने ट्विटर पर सरकारी अधिकारियों को टैग कर और उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

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हैदराबाद की एक सोसायटी में कामगारों के लिफ्ट इस्तेमाल करने पर जुर्माना लगाया जा रहा है. एक स्वतंत्र पत्रकार हर्षा वडलमणि (Harsha Vadlamani) ने 12 जनवरी को हैदराबाद (Hyderabad) की एक सोसाइटी के नोटिस का फोटो को ट्वीट किया, जिसमें लिखा था कि अगर घरों में काम करने वाली महिलाएं (नौकरानी), ड्राइवर या डिलिवरी बॉय ने मेन लिफ्ट का इस्तेमाल किया तो उन पर 300 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

जिसके बाद ट्विटर पर लोगों ने इस सोसाइटी को लताड़ा और कहा कि ये भेदभाव करने वाला नोटिस है और इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए.

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इस फोटो के वायरल होने के बाद तेलंगाना गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) के नाम के ट्विटर हैंडल से फोटो को पोस्ट कर लिखा गया कि सरकारी अफसरों को इस तरह के भेदभाव को रोकना चाहिए.

ट्वीट में आगे लिखा गया कि, "इस नोटिस को देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि छुआछूत केवल जाति के आधार पर ही नहीं होता, बल्कि पैसा और काम के आधार पर भी होना चाहिए.

TGPWU ने अपने ट्वीट में शहरी विकास मंत्री केटी रामा राव, तेलंगाना के सीएमओ और अन्य अधिकारियों को टैग किया और उन्हें हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

ट्विटर पर कुछ लोगों ने उन लोगों की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिन्होंने इस इस नोटिस के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई. सुनीता कर धर लिखती हैं, “बेहद भेदभावपूर्ण और शर्मनाक यह एक सुनियोजित तरीके से हमें सेवा देने वालों का बहिष्करण है. वहां रहने वाले लोगों की आवाज कहां है?”

वहीं वैंकट रेड्डी ने लिखा, “रसोई में काम करने वाली नौकरानियों से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनके द्वारा अगर लिफ्ट का उपयोग हो रहा है तो वो गलत है? आप जिस भी नजरिए से देखते हैं यह बकवास ही है.”

द न्यूज मिनिट से बातचीत करते हुए TGPWU के प्रदेश अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन ने कहा, “गिग वर्कर्स और घरेलू कामगारों को समानता और निष्पक्षता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा जाता है. ये संवैधानिक अधिकार हैं, लेकिन कई अपार्टमेंट इनका उल्लंघन करते हैं. यह वास्तव में दुखद है कि श्रमिकों के साथ इस तरह का भेदभाव किया जाता है."

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