गुजरात के वडगाम सीट से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को गुजरात विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया है. जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया है कि उन्हें सदन में सवाल पूछने की वजह से बाहर किया गया है. दरअसल, जिग्नेश मेवाणी एक दलित आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के आरोपी पुलिस उपनिरीक्षक को गिरफ्तार करने की मांग सदन में लगातार कर रहे थे.
मेवाणी ने कहा कि दो मार्च को एक भीड़ ने दलित एक्टिविस्ट अमराभाई बोरिचा की हत्या कर दी थी, इस मामले में वो आरोपी पीएसआई की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.
बता दें कि दो मार्च को एक भीड़ ने भावनगर के घोघा तालुका के सनोदर के निवासी अमराभाई बोरिचा (50) को कथित तौर पर स्थानीय पीएसआई की मौजूदगी में मार डाला था.
इसी पर मेवानी ने गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा से जवाब मांगा था कि उप-निरीक्षक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है.
मेवाणी ने कहा, "मैं विधानसभा के बाहर अपनी लड़ाई तब तक जारी रखूंगा जब तक PSI गिरफ्तार नहीं हो जाता! हम न्याय के लिए अपनी लड़ाई से समझौता नहीं करेंगे."
मेवाणी ने आरोप लगाते हुए कहा,
सनोदर गांव में अमराभाई बोरिचा का अकेला दलित परिवार रहता था और क्षत्रिय जाति को लोग उनकी जमीन और साथ ही उनके घर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे. इससे पहले 13 बार दलित आरटीआई कार्यकर्ता हमला किया गया था. बोरिचा, जो मुख्य रूप से एक किसान थे, उन्होंने एक महीने पहले घोघा पुलिस स्टेशन में क्षत्रियों के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन उप-निरीक्षक पी आर सोलंकी ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की. 2013 में भी उनपर हमला हुआ और उनके पैर टूट गए थे.
इससे पहले गुजरात कांग्रेस के विधायकों ने राज्य में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी के सदस्यों के साथ सदन में तीखी बहस की थी और फिर विधानसभा से वॉकआउट किया था. जिसके बाद सदन में विपक्ष की तरफ से सिर्फ निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी रह गए थे.
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