ADVERTISEMENTREMOVE AD

कर्नाटक उपचुनावः BJP की बंपर जीत से मिल रहे ये 3 संदेश

बीजेपी ने उपचुनाव में 12 सीटों पर जीत दर्ज की

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कर्नाटक का सियासी सर्कस आखिर खत्म हो गया. उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं और 15 में से 12 सीटें जीतकर बीजेपी ने अपनी सरकार न सिर्फ बचा ली है बल्कि उसे मजबूती भी दे दी है. राज्य में अब उसकी सीटें 118 हो गई हैं जबकि बहुमत के लिए 112 सीटें ही चाहिए. कांग्रेस सिर्फ दो सीटें जीत पाई और जेडीएस क्लीन बोल्ड हो गई है.

कर्नाटक उपचुनाव नतीजे मुख्य तौर पर तीन संदेश दे रहे हैं.-

पहला- येदियुरप्पा की वापसी

नतीजों के तुरंत बाद झारखंड की एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस कर्नाटक उपचुनाव के मैन ऑफ द मैच येदियुरप्पा हैं.

याद कीजिए दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद येदियुरप्पा की आलोचना हो रही थी. कहा जा रहा था कि वो केंद्र की कठपुतली हैं, लेकिन उन्होंने अपने दम पर 12 सीटें जीतकर दिखा दिया कि वो अकेले दम भी चुनाव जितवा सकते हैं.

ये भी कहा जा रहा था पार्टी में संघ का धड़ा उन्हें किनारे कर रहा है, लेकिन अब पार्टी और राज्य में उनके पांव जम गए हैं.. कोई ताज्जुब नहीं कि वही पूरे टर्म सीएम रहें.

दूसरा- BJP में नए नेतृत्व की शुरुआत

इन उपचुनावों के बाद कर्नाटक बीजेपी में नए नेतृत्व की शुरुआत होती दिख रही है. 2007 के उपचुनाव में सिद्धारमैया का उदय हुआ था, इस उपचुनाव में येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र का चेहरा चमका है.

मंडया इलाके में केआर पेटे सीट को जेडीएस का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर बीजेपी को जिताने का बीड़ा विजयेंद्र को दिया गया था और ये काम करके विजयेंद्र ने पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. अब चर्चा होने लगी है कि वही येदियुरप्पा की विरासत संभालेंगे और लिंगायत वोटबैंक की भी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तीसरा- विपक्ष की हालत खराब

उपचुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि कर्नाटक में अब विपक्ष और कमजोर हो गया है. सबसे ज्यादा नुकसान जेडीएस को हुआ है. उम्मीद की जा रही थी कि वो कम से कम दो से तीन सीटें जीत जाएगी लेकिन उसे कहीं जीत नहीं मिली.

लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में मिली करारी हार से अक्सर किंगमेकर की भूमिका में रहने वाली जेडीएस को हो सकता है अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना होगा.

राज्य में कांग्रेस के लिए भी अच्छी खबर नहीं है. नतीजे पूरी तरह से आने से पहले ही कांग्रेस के सीनियर लीडर डीके शिवकुमार ने हार स्वीकार की. और चंद घंटों बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने इस्तीफा दे दिया.

बीजेपी के लिए इसे आप महाराष्ट्र में मिले जख्म का कर्नाटक मरहम कह सकते हैं. वैसे उपचुनाव नतीजों का एक संदेश ये भी है कि दलबदलुओं से वोटर को वैसी भी कोई शिकायत नहीं. जिन 13 लोगों ने अपनी पार्टियां छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी, उनमें से 11 ने जीत दर्ज की.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×