बिहार के चर्चित चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में लालू प्रसाद की सजा पर फैसला शुक्रवार को भी टल गया. अब शनिवार को उन्हें सजा सुनाई जा सकती है. लेकिन इससे पहले लालू के वकील ने रांची की सीबीआई अदालत में उम्र और बीमारियों का हवाला देते हुए कम सजा दिए जाने की अपील की थी.
चारा घोटाले के इस मामले में पहले बुधवार को फैसला आना था. लेकिन बुधवार और गुरुवार को लालू की सजा पर फैसला टल गया था. और अब शुक्रवार को भी उन्हें सजा नहीं सुनाई जा सकी.
बढ़ती उम्र और बीमारी का दिया हवाला
शनिवार को लालू की सजा पर दोपहर 2 बजे सुनवाई हो सकती है. अदालती कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी हो सकती है.
लालू प्रसाद की तरफ से दी गई अर्जी में कहा गया है कि घोटाले में सीधे तौर पर उनकी कोई भूमिका नहीं थी. साथ ही उनकी उम्र, सेहत और बीमारियों का ध्यान रखते हुए उन्हें कम से कम सजा दी जाए.
बिरसा सेंट्रल जेल में कैद लालू
यह मामला देवघर के जिला कोषागार से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये निकालने से जुड़ा हुआ है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया.
इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित 7 लोगों को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया.
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लालू यादव समेत 16 लोगों को सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार दिया था. इसके बाद से लालू बिरसा सेंट्रल जेल में है और उन्हें कैदी नंबर 3351 मिला हुआ है.
चारा घोटाले में कैसे-कैसे आरोप
- 1990 के दशक के चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाला. इसमें पैसे के गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आए, वो चौंकाने वाले थे. आरोप ये भी थे:
- गाय-भैंस और सांडों की ढुलाई के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे बनाए गए.
- जिन गाड़ियों से मवेशियों की ढुलाई कागज पर दिखाई गई थी, उनमें से ज्यादातर के नंबर स्कूटर-मोटरसाइकिल के निकले.
- मवेशियों की दवा के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए.
- कई दवा कंपनियों का तो कहीं कोई अता-पता नहीं था. कुछ कंपनियां तो सचमुच की थीं, लेकिन उन्होंने केवल बिल बनाकर फायदा पहुंचाया.
- पशुओं के चारा के नाम पर कोषागार से पैसे की निकासी की गई.
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