कोरोना संकट काल में मुंबई के स्कूलों में ऑनलाइन क्लास की शुरूआत हो चुकी है लेकिन बच्चों की फीस के मुद्दे पर कई स्कूलों के पैरेंट्स और स्कूल प्रशासन आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं. बच्चे फिलहाल फिजिकल तौर पर स्कूल नहीं जा रहे हैं. स्कूल में बिजली का इस्तेमाल भी नहीं हो रहा है. लिहाजा बच्चों के पैरेंट्स सवाल उठा रहे हैं कि स्कूल इतनी ज्यादा फीस क्यों ले रहे है? हालांकि स्कूल प्रशासन अभिभावकों की इस मांग की ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है, यही वजह है ये मुद्दा अब गरमाने लगा है.
जिस तरह से स्कूल की फीस कम करने की मांग ने जोर पकड़ रही है, उससे देखते हुए लगता है आने वाले दिनों में ये मामला जरूर कोर्ट तक पहुंचेगा. अभिभावक और टीचर एसोसिएशन की अध्यक्ष अरुंधति चव्हाण ने क्विंट को बताया कि -
“ कोरोना की वजह से कई अभिभावकों की नौकरी गई है, कई लोगों को पे कट का सामना करना पड़ा है ऐसे में स्कूल प्रशासन जो कैंटीन, लाइब्रेरी, बस जैसी सुविधा के लिए फीस लेता है उसे कम कर देना चाहिए”अरुंधति चव्हाण,अभिभावक और टीचर एसोसिएशन
ट्यूशन फीस तो देना ही होगा नहीं तो टीचरों की सैलरी में दिक्कत आ सकती है. पेरेंट्स टीचर असोसिएशन का कहना है की उनके साथ एक मीटिंग कर इस मसले को सुलझाया जा सकता है.
एक्टिविटी फीस कम करने की मांग
मुंबई और MMR रीजन में इंग्लिश मीडियम स्कूल में जूनियर केजी की सालाना फीस 25 हजार रुपए सालाना है, जबकि 5th क्लास के ऊपर की कक्षा में जो छात्र है उनकी फीस 50-60 हजार के करीब है. इसमें एक्टिविटी फीस भी शामिल होती है. जो करीब 5-7 हजार के करीब है, मुख्यतौर पर इसे ही कम करने की मांग है.
'इंसानियत दिखाएं स्कूल मैनेजमेंट'
उधर सरकार इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका में शायद नहीं आना चाहती है, स्कूल एजुकेशन मिनिस्टर वर्षा गायकवाड़ का कहना है की “फिलहाल ऑनलाइन क्लास हो रही हैं.ऐसे में बिजली, ग्राउंड, लाइब्रेरी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है ऐसे में मैनेजमेंट ने इंसानियत दिखाते हुए जिन वस्तुओं का उपयोग नहीं हो रहा है उनकी फीस नहीं लेना चाहिए”
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