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मेरठ में कथित तौर पर लगे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे, 1  गिरफ्तार

मेरठ के एडीजी ने कहा- अन्य लोगों को भी किया जाएगा गिरफ्तार

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उत्तर प्रदेश के शहर मेरठ में कथित तौर पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने का मामला सामने आया है. इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार भी किया है. बताया जा रहा है कि मेरठ के मवाना में कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे. जिसके बाद इसकी शिकायत पुलिस को की गई और पुलिस ने मौके से एक शख्स को गिरफ्तार किया.

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पाकिस्तान के समर्थन में लगे नारों पर मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि,

“फिलहाल एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. बाकी लोगों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. किसी को भी राष्ट्र विरोधी गतिविधि करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा.”
प्रशांत कुमार, ADG मेरठ

एसपी का वीडियो हुआ था वायरल

मेरठ में ऐसा ही एक मामला कुछ दिन पहले भी सामने आया था. जिसमें मेरठ के एसपी सिटी ने दावा किया था कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे. जिनका पीछा करते हुए वो एक गली में पहुंचे. बता दें कि एसपी सिटी ने लोगों को खूब धमकाया था. जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इस दौरान एसपी सिटी ने वहां खड़े लोगों से कहा था-

“कहां जाओगे? इस गली को मैं ठीक कर दूंगा. गाली जो पड़ती है ना, पीली पट्टी बांध रहे हो. बता रहा हूं, उनको कहना पाकिस्तान चले जाएं.”

वहीं मौके पर मौजूद एडीएम ने वहां खड़े दो लोगों से कहा, “फ्यूचर काला होने में लगेगा सेकंड, एक सेकंड लगेगा. पट्टी काला, सब काला हो जाएगा. जिंदगी काली हो जाएगी.”

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क्या कहता है भारतीय कानून?

भारतीय कानून के अनुसार, 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाना आपके लिए परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन कोई अपराध नहीं है, चाहे वह भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) या 153 ए के तहत हो. साल 1995 में बलवंत सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही कुछ फैसला सुनाया था.

सुप्रीम कोर्ट के 1995 के बलवंत सिंह के फैसले के अनुसार, केवल नारे लगाना (उस मामले में खालिस्तानी समर्थक नारे लगाना) भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) या 153 ए के तहत अपराध नहीं है. जज ने अपने फैसले में लिखा था कि "दो व्यक्तियों द्वारा बिना हिंसा किए कई बार नारे लगाना भारत सरकार के लिए किसी भी तरह का खतरा नहीं है. कानून एक ही समुदाय या धार्मिक या अन्य समूहों के बीच दुश्मनी या घृणा की भावनाओं को जन्म नहीं दे सकता है."

इसी तरह, अगर मेरठ में पुलिस ने सिर्फ नारे लगाने के आधार पर लोगों को गिरफ्तार किया है और उन्होंने हिंसा के लिए किसी को उकसाया नहीं है, तो पुलिस के पास इनको गिरफ्तार करने का आधार नहीं है.

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