विधानसभा नहीं पहुंचे तेजस्वी, सियासत गर्म
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विधानसभा के मॉनसून सत्र में अब तक भाग नहीं लेने का मुद्दा अब आरजेडी सदस्यों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. आरजेडी के कई नेता अब इस सवाल पर चुप्पी साध ले रहे हैं. इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव से विपक्ष के नेता पद से इस्तीफे की मांग कर दी है. बिहार विधानसभा की कार्यवाही बुधवार को शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने तेजस्वी के सदन में नहीं आने का मसला उठाया, जिसके बाद आरजेडी विधायक चुप हो गए.
इस बीच, एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने भी तेजस्वी के विधानसभा की कार्यवाही से नदारद रहने पर चुटकी ली है. पासवान ने कहा कि अगर तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं या उनकी तबीयत खराब है तो ऐसे में उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए
इधर, आरजेडी के नेता इस मामले में सफाई दे रहे हैं. पार्टी के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि तेजस्वी यादव को ज्यादा समय तक बैठने में दिक्कत हो रही है, जिस कारण वह सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह जैसे ही स्वस्थ होंगे कार्यवाही में भाग लेने पहुंचेंगे.
बता दें कि हाल ही में लोकसभा चुनाव में आरजेडी को मिली करारी हार के बाद 29 मई को हुई आरजेडी की समीक्षा बैठक के बाद तेजस्वी बिहार की राजनीति से 'गायब' हो गए थे. 29 जून को तेजस्वी ने एक ट्वीट कर अपने बीमार होने की बात बताते हुए जल्द ही पटना आने की जानकारी दी थी.
तेजस्वी सोमवार को पटना पहुंचे थे, जिसके बाद से माना जा रहा था कि वह विधानसभा के मॉनसून सत्र में शामिल होंगे और विपक्ष की आवाज बुलंद करेंगे. लेकिन तेजस्वी अभी तक कार्यवाही में हिस्सा लेने विधानसभा नहीं पहुंचे हैं और विपक्ष के नेता की गैरमौजूदगी पर सत्ता पक्ष लगातार निशाना साध रहा है.
बिहार विधानसभा में हंगामा, स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष
बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के चौथे दिन बुधवार को भी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की हुई मौत पर विपक्ष स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़ा रहा और विपक्षी दलों के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. बिहार विधानसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के सदस्यों ने राज्य में सूखे और पेयजल की समस्या का मुद्दा उठाया. विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने सदन को बताया कि सरकार जल संकट के मुद्दे पर व्यापक चर्चा कराने जा रही है. उन्होंने सदन को बताया कि 13 जुलाई को 10 बजे से सेंट्रल हॉल में चर्चा होगी, जिसमें सभी विधायकों से सुझाव लिया जाएगा.
इसके बाद आरजेडी ने एईएस मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू कर दिया. आरजेडी के सदस्यों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार के सिर्फ दुख प्रकट करने से कुछ नहीं होगा, इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना होगा.
इधर, विधान परिषद में भी आरजेडी सदस्यों द्वारा हंगामा हुआ. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे पर भी आरजेडी ने सवाल उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा मांगा.
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि जिस तरह राज्य में बच्चे मर रहे हैं, वह सरकार की अक्षमता दिखाता है. इसके लिए जिम्मेदार स्वास्थ मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए. कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि सरकार कोर्ट में कुछ और सदन में कुछ और बात करती है. उन्होंने कहा कि आज अगर राज्य में डॉक्टरों और स्वास्थकर्मियों की कमी है, तो इसके लिए दोषी कौन है.
बिहार सरकार ने सभी 8,405 पंचायतों में कृषि ऑफिस खोलने का फैसला लिया
बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बुधवार को कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य की कुल 8,405 पंचायतों में से 1,485 में कृषि कार्यालय खोल दिया गया है जबकि शेष 6,920 पंचायतों में इसे खोलने के लिए राशि जारी कर दी गयी है. बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2019- 20 के लिए कृषि विभाग के 29 अरब 58 करोड़ 77 लाख 32 हजार रुपये के आय-व्यय पर हुई बहस के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए प्रेम कुमार ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर खुलने वाले इन कृषि कार्यालयों में कृषि समन्वयक और कृषि सलाहकार मौजूद रहेंगे जिससे किसानों को अपनी समस्या के लिए प्रखंड और जिला मुख्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021- 22 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का संकल्प लिया है. इसके लिए भारत सरकार द्वारा सात सूत्र सुझाए गये है जिसके अनुरुप कार्य किये जा रहे हैं. पिछले वर्ष ही किसानों को लागत मूल्य के डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का संकल्प पूरा किया गया था. पशुपालक एवं मत्स्यपालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है.
प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार की 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है और यहां की कृषि राज्य के जीडीपी का पांचवा हिस्सा है. जहां देश में औसतन 42 प्रतिशत जमीन पर खेती होती है, वहीं बिहार में 60 प्रतिशत जमीन पर खेती होती है. प्रेम ने कहा बिहार में कुल किसानों की संख्या 1.61 करोड़ है, जिनमें से 76 लाख से भी अधिक किसान पंजीकृत किये गये हैं. कृषि विभाग की सभी योजनाओं को किसान पंजीकरण से जोड़ा जा रहा है. इसके तहत किसानों को सभी भुगतान सीधे बैंक खाते में भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है.
बिहार में अब 'खास' लोगों की 'आम' पर सियासत
बिहार में राजनीतिक दल किसी भी मुद्दे पर सियासत करने से नहीं पीछे नहीं रहते हैं. इस बीच, अब प्रदेश में 'आम' पर सियासत शुरू हो गई है. बिहार विधानसभा में जारी मानसून सत्र के दौरान विधायकों और विधान पार्षदों को पौधे लगाने के लिए जागरूक करने के लिए कृषि विभाग द्वारा आम के पौधे देने के लिए विधानमंडल परिसर लाया गया. सरकार की इस पहल को लेकर बिहार की सियासत गर्म हो गई. कृषि विभाग द्वारा बुधवार को सभी सदस्यों को आम की एक टोकरी और आम के दो पौधे दिए जा गए.
सरकार की इस पहल को लेकर विपक्ष अब सरकार पर निशाना साध रही है. राष्ट्रीय जनता दल की नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इसे एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से जोड़ते हुए कहा कि एक तरफ प्रदेश में गरीब के बच्चे मर रहे हैं, वहीं सरकार आम खा रही है. उन्होंने यहां तक कहा कि जो आम खाएगा उन्हें गरीब बच्चों की हाय लगेगी.
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने भी भाजपा और जेडीयू पर आम को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का पाप धोने के लिए आम बांटे जा रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग यह आम खाएंगे, उनका पेट भी खराब हो जाएगा.
आम बांटे जाने पर घिरी सरकार की ओर से सफाई देते हुए बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा, "इन दिनों पर्यावरण बेहद खतरनाक स्थिति में है. आम के पौधे वितरित कर लोगों को ज्यादा पेड़ लगाने का संदेश देने की कोशिश है, जिससे इस समस्या का समाधान हो सके." उन्होंने कहा कि आम के पौधे वितरित करने से पौधे लगाने का संदेश पूरे राज्य में जाएगा और लोग इसे लेकर जागरूक होंगे.
पटना हाईस्कूल हुआ 100 साल का, उपराष्ट्रपति शताब्दी समारोह में लेंगे हिस्सा
साल 1919 में स्थापित और देश के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में शुमार पटना हाई स्कूल मंगलवार को 100 साल का हो गया और उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू चार अगस्त को उसके शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने वाले हैं.
उसी दिन उपराष्ट्रपति पटना यूनवर्सिटी लाइब्रेरी के शताब्दी समारोह में भी मुख्य अतिथि होंगे. यह लाइब्रेरी भी 100 साल का हो गया है. हाई स्कूल के प्रिंसिपल रवि रंजन ने कहा-
‘‘1912 में नये प्रांतों बिहार और ओडिशा के बनने के सात साल बाद पटना हाई स्कूल की स्थापना की गयी. शुरू में तो यहां ज्यादातर उन बाबुओ (नौकरशाहों) और लिपिकों के बच्चे होते थे जो पटना सचिवालय या अन्य सरकारी दफ्तरों में काम करते थे. इसे पटना इंग्लिश हाई स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था.’’
मध्य पटना के गर्दनीबाग में विशाल क्षेत्र में फैले इस विद्यालय की सबसे पुरानी बिल्डिंग ई आकार में है. अगस्त में होने वाले शताब्दी समारोह से पहले उसका रंग-रोगन किया जा रहा है. रंजन ने कहा, ‘‘हमें गर्व महसूस होता है कि कई महान पूर्व छात्र देने वाला यह ऐतिहासिक संस्थान 100 साल का हो गया और उपराष्ट्रपति नायडू ने चार अगस्त को यहां शताब्दी समारोह में पहुंचने को मंजूरी दे दी है. यह विद्यालय के लिए बड़े सम्मान की बात है.’’
प्रिंसिपल ने कहा कि आजादी के फौरन बाद इस स्कूल के नाम से इंग्लिश हटा दिया गया था. साल 2008 में इसका नाम बदलकर शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कर दिया गया था. लेकिन अब भी यह पटना हाईस्कूल नाम से लोकप्रिय है. इसकी स्थापना दो जुलाई 1919 को हुई थी.
(इनपुट: IANS और भाषा)
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