रूस (Russia) एक भारतीय के शव को भारत भेजने को मंजूर हो गया है जिसे पहले 3 दिसंबर को दफना दिया गया था. सात महीने पहले भारतवासी हितेंद्र गरासिया की जान रूस में चली गई थी जिसके बाद रूस ने शव को सौंपने से मना कर दिया था और वहीं शव को सरकारी अफसरों द्वारा दफना दिया था.
हितेंद्र गरासिया उदयपुर (Udaipur) जिले के गोड़वा गांव के रहने वाले हैं जिनकी 17 जुलाई, 2021 को रूस में जान चली गई थी. राजस्थान हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि रूस में हितेंद्र का शव दफना दिया गया था. मगर भारत में उसके परिवार की मांग के चलते अब क्रब से शव निकालकर भारत भेजा जाएगा. हितेंद्र का शव वापस लाने की मांग को लेकर उसके परिवार के सदस्य दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हुए हैं.
ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने शव दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने के बाद वहां से पैतृक निवास तक पहुंचाने की व्यवस्था राजस्थान सरकार को करने को कहा है.
दरअसल हितेंद्र वर्क वीजा पर रूस काम के लिए गया था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सात महीने पहले उसका शव एक पार्क में पाया गया था. तब रूस ने शव को भारत ने भेजकर वहीं दफना दिया था.
केंद्र से नाराज हैं हितेंद्र गरासिया का परिवार
हितेंद्र गरासिया के पुत्र पीयूष गरासिया इस पूरे मामले में कंद्र सरकार से बेहद नाराज हैं. पीयूष का कहना है कि भारत सरकार ने ही सुनियोजित तरीके से उसके पिता के शव को रूस में ही कब्र में दफनाने दिया.
उन्होंने कहा, यह बहुत दुखद रहा कि कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय जाकर ज्ञापन देने के बावजूद भारत सरकार ने परिजनों की बिना सहमति और सूचना दिए उसके पिता के शव को दफनवा दिया है. भारत सरकार ने तो अपने अत्याचारों में कोई कमी नहीं रखी.
आगे उन्होंने कहा कि, "15 जनवरी तक शव भारत नहीं आया तो 16 से परिजन जंतर मंतर पर ही आमरण अनशन पर बैठेंगे. हमारा परिवार भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और अन्य के विरुद्ध आखिरी सांस तक संघर्ष को तैयार है."
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