तेलंगाना (Telangana) और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के बीच नागार्जुन सागर बांध (Nagarjuna Sagar Dam) को लेकर तनाव चल रहा है. इस बीच सीआरपीएफ (CRPF) के जवान शुक्रवार,1 दिसंबर को तेलंगाना के नलगोंडा जिले में बांध (डैम) पर पहुंचे. कृष्णा नदी पर बने इस बांध को लेकर दोनों राज्यों के बीच चल रहे तनाव को कम करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया है. इसके बाद वहां पर CRPF जवानों को तैनात किया गया.
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शुक्रवार यानी 1 दिसंबर को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की. इसके बाद दोनों राज्य उनके सुझाव पर सहमत हुए. केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि बांध से पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर 28 नवंबर से पहले की स्थिति बहाल की जाए, बांध का नियंत्रण कृष्णा नदी जल प्रबंधन बोर्ड को सौंपा जाए और बांध पर सीआरपीएफ तैनात की जाए.
तेलंगाना की मुख्य सचिव शांति कुमारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा...
तेलंगाना की मुख्य सचिव शांति कुमारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, "29 नवंबर की रात को 500 सशस्त्र आंध्र प्रदेश पुलिस के जवान बांध पर आए, सीसीटीवी कैमरे क्षतिग्रस्त कर दिए और हेड रेगुलेटर चलाकर 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया."तेलंगाना की मुख्य सचिव शांति कुमारी
उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव को यह भी बताया कि आंध्र प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई से उस दिन कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई जब तेलंगाना राज्य विधानसभा चुनाव कराने में व्यस्त था. उन्होंने शिकायत की कि आंध्र प्रदेश ने दूसरी बार ऐसी कार्रवाई की है.
विवाद सुलझाने के लिए जल संसाधन मंत्रालय ने बुलाई बैठक
इस बीच, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने दोनों राज्यों के बीच मामले को सुलझाने के लिए शनिवार, 2 दिसंबर को बैठक बुलाई है. मंत्रालय ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और KRMB के अध्यक्ष, केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ के महानिदेशकों को भी इस बैठक में बुलाया है.
इससे पहले, तेलंगाना पुलिस ने अतिक्रमण के आरोप में आंध्र प्रदेश पुलिस के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे. नलगोंडा जिले की पुलिस ने आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा कथित तौर पर परिसर में घुसकर बांध के आधे हिस्से पर कब्ज़ा करने के एक दिन बाद मामले दर्ज किए. आंध्र प्रदेश के पुलिस अधिकारियों ने भी बांध के एक हिस्से पर बैरिकेडिंग कर दी थी और तेलंगाना पुलिस और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
क्या है कृष्णा नदी को लेकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद?
कृष्णा नदी को लेकर विवाद कोई नया नहीं है. ये विवाद पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बीच चला रहा था. लेकिन जब से आंध्र प्रदेश से अलग हो कर तेलंगाना स्थापित हुआ, तब से ये विवाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच भी पैदा हो गया.
विवाद वही है, कृष्णा नदी महाराष्ट्र से निकलती है - इसलिए महाराष्ट्र चाहता है नदी के पानी पर बड़ा हक उसका हो. ये नदी आगे चलकर कर्नाटक पहुंचती है - जिसकी भी यही मांग है. कर्नाटक से होते हुए नदी तेलंगाना और फिर आध्र प्रदेश पहुंचती है जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद बना.
दोनों राज्यों के अलग होने के बाद क्या स्थिति बनी?
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में जल हिस्सेदारी का कोई उल्लेख नहीं है. 2015 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्रालय द्वारा बुलाई गई एक बैठक में, दोनों राज्य इस बात पर राजी हुए कि नदी का पानी 34:66 (तेलंगाना: आंध्र प्रदेश) अनुपात में पानी साझा करेंगे और हर साल स्थिति का आंकलन किया जाएगा.
हर साल आंकलन होने के बाद बदलाव होने चाहिए थे लेकिन तेलंगाना के विरोध के बावजूद कृष्णा रिवर मैनेजमेंट बोर्ड (KRMB) ने साल दर साल नदी के पानी को साझा करने का यही अनुपात जारी रखा. अक्टूबर 2020 में, तेलंगाना ने पानी के बंटवारे को लेकर बराबर हिस्सेदारी के लिए अपनी आवाज उठाई. 2023 की शुरुआत में हुई बोर्ड की बैठक में, तेलंगाना ने बराबर हिस्सेदारी के लिए अपना पक्ष रखा और मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने से इनकार कर दिया. ऐसे में अब ये मामला जल शक्ति मंत्रालय को भेज दिया गया है.
बता दें कि केंद्र के कहने पर तेलंगाना ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को वापस ले लिया है लेकिन पिछले दो साल से इस मामले को लेकर कोई उपलब्धि हासिल नहीं हो पाई है.
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