'हालत बिगड़ रही है, अस्पताल में एडमिट करा दीजिए', 'अस्पताल से कोई जानकारी नहीं मिल रही है', 'फोन कर रहा हूं अस्पताल में कोई उठा नहीं रहा है, मां एडमिट हैं'
करीब-करीब ऐसे ही मैसेज से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. क्विंट हिंदी ने कई ऐसे लोगों से बातचीत की, जिनकी शिकायत है कि पहले अस्पताल में एडमिट कराने की दिक्कत, तो जब एडमिट हो जाए तो अस्पताल की तरफ से कोई जानकारी जुटाने के लिए भी जुगाड़ लगाने पड़ रहे हैं.
कुछ ऐसा ही आरोप लखनऊ के एक अस्पताल में एक मरीज के परिवार वाले लगाते हैं. इस अस्पताल में डॉक्टर और मरीज के परिवारवालों के बीच मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. वीडियो हाल ही का है, परिवारवालों का आरोप है कि तीन दिन पहले मरीज को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एडमिट कराया गया था लेकिन अभी तक मरीज के बारे में कोई सूचना ही नहीं मिल रही है.
मारपीट का वीडियो सामने आने के बाद मामला पुलिस तक पहुंच चुका है और पुलिस इसकी जांच में जुटी है. इस अस्पताल से कई बार कॉन्टेक्ट करने की कोशिश की गई लेकिन बातचीत नहीं हो सकी है.
नोएडा के एक अस्पताल में मीडियाकर्मी पंकज कुमार की मां एडमिट हैं. पंकज की शिकायत ये है कि हर बार अपनी मां की तबीयत जानने के लिए उन्हें हजार जुगाड़ लगाने पड़ते हैं.पंकज कहते हैं कि एक तरफ से मां फोन पर कह रही हैं कि खांसी है कि रुक ही नहीं रही और कोई दवा तक लाने वाला नहीं है. अब ये सुनकर किसी भी बेटे का दिल भर आएगा लेकिन 50-100 कॉल के बाद भी नंबर रिसीव नहीं किया जाता.
एक हॉस्पिटल है, जिसका नाम है &*#*#&. ग्रेटर नोएडा में है. यहां ठीक होता हुआ भी मरीज मर जायेगा. मां को 3 दिन पहले ICU से HDU में शिफ्ट किया गया. लेकिन तब से उन्हें समय पर न तो दवा दी जा रही है और न ही खांसी के लिए सिरप. आखिरी कफ सिरप उन्होने कल सुबह पीया था.मैंने नोडल अधिकारी समेत दूसरे तमाम डॉक्टरों से भी सिफारिश लगा ली, कहीं कोई सुनवाई नहीं है. मैं बिल्कुल समझ रहा हूं कि अस्पताल के ऊपर प्रेशर ज्यादा है लेकिन मैं अपनी मां को वहां मरने के लिए नहीं छोड़ सकता.पंकज कुमार, ट्विटर पर
पंकज ने वो मैसेज दिखाए जिसे उन्होंने डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े एक अधिकारी को भेजा है, वहां से मदद की बात तो कही जा रही है लेकिन साथ में ये भी कहा जा रहा है कि अस्पताल ओवरलोडेड है, इसलिए देरी हो रही है.
जानकीपुरम, लखनऊ के रहने वाले रामपाल के परिचित लखनऊ के एक अस्पताल में एडमिट थे, वहां उनका निधन हो गया. वो उखड़ते हुए कहते हैं कि अस्पताल में बिलकुल खराब व्यवस्था थी. रामपाल कहते हैं कि जिसकी अप्रोच है उसी का सही से इलाज हो रहा है शायद.
किससे शिकायत करें, हम मरीज को लेकर खुद ही परेशान थे, शिकायत करने का कैसे क्या सोचेंं.रामपाल
मरीजों के ये परिजन जिस तरीके की शिकायतें कर रहे हैं, उससे प्राइवेट अस्पतालों के लोड और व्यवस्था के बारे में बहुत कुछ साफ हो रहा है. और जिस तरीके से हर रोज कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है, उससे आगे आने वाले दिनों में सरकार को और विकल्प तलाशने ही होंगे.
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