सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से साल 2015 में ली गई 'अपर सबॉर्डिनेट' भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए शनिवार को एक एफआईआर दर्ज की. सीबीआई अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई और भी एफआईआर दर्ज कर सकती है.
यूपी सरकार ने की थी सिफारिश
दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी को परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की जांच शुरू करने के लिए उतर प्रदेश सरकार की ओर से एक सिफारिश मिली थी, जिसमें नियमों का उल्लंघन, पक्षपात और कुछ जातियों को तरजीह देने समेत अन्य आरोप लगाए गए थे. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इलाहाबाद स्थित यूपीपीएससी की ओर से 2012 से 2017 के बीच कराई गई परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की छानबीन करने के लिए एक प्राथमिक जांच दर्ज की थी. इसी अवधि के दौरान अधीनस्थ सेवाओं में नौकरी के लिए हुई परीक्षाओं में ये धांधलियां सामने आई हैं.
पहले दौर की जांच में इकठ्ठा किए गए सबूतों के आधार पर जांच एजेंसी ने शनिवार को यूपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. उन पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. सीबीआई ने साल 2015 में अपर सबॉर्डिनेट स्टाफ के लिए हुई परीक्षा के सिलसिले में यह एफआईआर दर्ज की.
बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप
सीबीआई के मुताबिक आरोप है कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल के दौरान हुए इम्तिहान में गंभीर धांधलियां हुई थीं. यह अनियमितताएं इंटरव्यू, आंसर शीट बदलने, पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द नहीं करने, आरक्षण नियमों का उल्लंघन और विशेष क्षेत्र और विशेष जाति के छात्र को ज्यादा अंक देने से संबंधित है. जांच के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया कि यूपीपीएससी के अधिकारियों ने किसी न किसी बहाने से जानकारी साझा नहीं की.
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
अब तक की गई पड़ताल से सामने आया है कि यूपीपीएससी के अज्ञात अफसरों ने 2015 की अपर सबॉर्डिनेट परीक्षा के लिए कुछ व्यक्तियों और छात्रों से सांठगांठ की और धांधली को अंजाम दिया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि योग्य कैंडिडेट इंटरव्यू के लिए अयोग्य हो गए, क्योंकि मॉडरेशन में उनके अंकों को घटा दिया गया. एजेंसी ने कहा कि जांच में यह भी सामने आया कि कुछ कैंडिडेट्स ने अपने आंसर शीट में कुछ निशान लगाए थे, जिससे मूल्यांकन के दौरान उनकी आसानी से पहचान हो जाए.
एजेंसी ने दावा किया अंसार शीट की जांच के दौरान एग्जामिनर या यूपीपीएससी के अधिकारी ने कैंडिडेट्स के इस बर्ताव पर कोई एक्शन नहीं लिया, और न ही कोई अंक काटा गया. इससे यूपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों का गोपनीय मकसद सामने आता है.
(इनपुट: भाषा)
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