ADVERTISEMENTREMOVE AD

उडुपी हिजाब विवाद: छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर की याचिका

उडुपी में सरकारी पीयू कॉलेज ने कई मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के चलते कक्षाओं में एंट्री से रोक दिया था

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मुस्लिम छात्राओं को कर्नाटक के उडुपी में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने हिजाब (Udupi Hijab controversy) पहनने के चलते एंट्री से इनकार कर दिया था, इसके बाद अब एक छात्रा ने 31 जनवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

इस याचिका में मांग की गई कि छात्रों को हिजाब पहनकर कॉलेज में जाने का अधिकार दिया जाए. याचिका में ये भी मांग की गई कि उन्हें बिना किसी हस्तक्षेप के अपनी कक्षाओं में बैठने दिया जाए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन- याचिका में तर्क 

उडुपी में सरकारी पीयू कॉलेज ने 28 दिसंबर 2021 को कई मुस्लिम लड़कियों को कक्षाओं में एंट्री से रोक दिया था, क्योंकि उन्होंने अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार अपनी स्कूल यूनिफॉर्म के साथ हिजाब (हेडस्कार्फ) पहनने की मांग की थी.

रहमान फारूक द्वारा दायर रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि हिजाब पहनना लड़कियों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा है और इसलिए उन्हें कॉलेज में एंट्री से इस आधार पर रोकना, अनुच्छेद 25 के तहत अपने धर्म का पालन करने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समान व्यवहार का अधिकार) का भी उल्लंघन है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक याचिका में आगे कहा गया है कि इन मौलिक अधिकारों की रक्षा करना राज्य सरकार का कर्तव्य है और कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई असंवैधानिक और मनमानी है. ये याचिका फारूक ने दायर की जिसका प्रतिनिधित्व वकील शतबिश शिवन्ना, अर्नव ए बगलवाड़ी और अभिषेक जनार्दन ने किया है.

इसमें ये भी बताया गया है कि "जिस तरह से कॉलेज ने याचिकाकर्ता को बाहर किया है, वह न केवल उसके बैचमेट्स के बीच बल्कि पूरे कॉलेज के बच्चों के बीच एक कलंक पैदा करता है जो बदले में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ याचिकाकर्ता के भविष्य को भी प्रभावित करेगा."

कागज पर कोई नियम नहीं -प्रिंसिपल

कॉलेज प्रशासन का इसपर कहना है कि धार्मिक प्रतीकों को पहनने के खिलाफ उनका लंबे समय से नियम रहा है, हालांकि द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार प्रिंसिपल ने स्वीकार किया कि इसके लिए कागज पर कोई नियम नहीं था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज्य सरकार के स्नातक शिक्षा विभाग के पास वर्दी पर कोई व्यापक नियम नहीं है, इसे अलग-अलग संस्थानों में अपने नियम बनाने के लिए छोड़ दिया जाता है. कर्नाटक सरकार ने इस मामले को देखने के लिए एक कमेटी नियुक्त की है, जबकि स्कूल ने छात्राओं को सलाह दी है कि जब तक राज्य सरकार कोई समाधान नहीं निकालती, तब तक वे ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुनें.

इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार 27 जनवरी को विवाद को लेकर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया है, "मामले के तथ्य परेशान करने वाले हैं. शिकायत में लगाए गए आरोप 'शिक्षा के अधिकार' से जुड़े गंभीर प्रकृति के हैं. इसलिए इस मामले में पीड़ित छात्रों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन शामिल है." उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव उडुपी के जिलाधिकारी को नोटिस भेजकर चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गयी है.

(लाइव लॉ से इनपुट्स के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×