गांधी जयंती पर देशभर में बापू के दिए शांति संदेशों को याद किया जा रहा था, वहीं राजधानी दिल्ली के गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन हिंसक होता जा रहा था. इस बीच सीपीआई (एमएल) पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने एक तस्वीर ट्वीट किया.
तस्वीर में एक पुलिसकर्मी ने एक बुजुर्ग आदमी पर पिस्तौल तान रखी है और बुजुर्ग अपने हाथ में ईंट लेकर उस पर हमला करने को तैयार है. इसे किसान आंदोलन के दौरान ली हुई तस्वीर बताते हुए सवाल उठाए गए. जल्द ही ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
अगर आपने भी इस तस्वीर पर यकीन कर लिया या शेयर किया, तो जान लीजिए कि ये तस्वीर 2 अक्टूबर 2018 की नहीं, बल्कि साल 2013 में मेरठ में महापंचायत के दौरान हुए बवाल की है.
कविता कृष्णन के इस ट्वीट को अब तक तीन हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है. तस्वीर पोस्ट करते हुए कविता ने कहा, "इस किसान को देखिए, जो बंदूक लिए हुए पुलिस का सामना ईंट से कर रहा है. अगर आप सोचते हैं कि किसान आतंकवादी नहीं है- मुझे उम्मीद है कि आप ऐसा सोचते हैं- अगर आप उसके गुस्से से सहानुभूति रखते हैं, तो मुझे उम्मीद है कि आप अगली बार किसी कश्मीरी बच्चे के हाथ में पत्थर देखकर उसे आतंकवादी कहने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे."
इसी तरह कई दूसरी आईडी से भी इसी तस्वीर को किसान आंदोलन की तस्वीर बताकर पोस्ट किया गया.
ये भी पढ़ें - आर्मी चीफ ने सफाई दी, फिर भी शेयर होता रहा उनका फर्जी बयान
जानिए फोटो की असलियत
अपने ट्वीट में कृष्णन ने परोक्ष तौर पर ये बताया कि उन्होंने जो फोटो पोस्ट किया, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन का है. लेकिन कई यूजर्स ने उन्हें जवाब देते हुए जल्द ही ये बता दिया कि फोटो 2013 के मेरठ संघर्ष का है. इन यूजर्स ने उन्हें एक भ्रामक पोस्ट शेयर करने के लिए खरी-खोटी भी सुनाई.
30 सितंबर 2013 को इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में मेरठ के खेरा गांव में हुई हिंसा के बारे में बताया गया था, जिसके साथ इस तस्वीर को छापा गया था. इस घटना में प्रशासन की ओर से बैन किए महापंचायत की जगह पर पुलिस के साथ ग्रामीणों की झड़प हुई थी. इस घटना में छह लोग घायल हुए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)