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आतंकियों पर अरुंधति रॉय का खत और डोभाल का जवाब दोनों ही फर्जी हैं

जानिए इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस खत की सच्चाई क्या है

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इंटरनेट पर एक इन दिनों एक खत और उसके जवाब में लिखा गया दूसरा खत वायरल हो रहा है. इसको लेकर दावा किया जा रहा है कि ये खत लेखिका अरुंधति रॉय ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को लिखा है, जिसका जवाब डोभाल ने दिया. इस खत में "नेशनल करेक्शनल सिस्टम फैसिलिटीज में पकड़े गए आतंकवादियों" के साथ बर्ताव के बारे में शिकायत की गई है.
रॉय को लिखे गए 'जवाब' के लिए डोभाल की तारीफ करते हुए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स ने इसे शेयर किया है.

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बिना तारीख वाला यह कथित जवाब रॉय को "आईएसआईएस और लश्कर के आतंकवादियों के साथ हो रहे बर्ताव की गंभीर चिंता" के लिए धन्यवाद देने के साथ शुरू होती है. इसके बाद इसमें कहा गया है कि अधिकारियों ने आतंकी अली मोहम्मद अहमद बिन महमूद को अरुंधति रॉय की निजी देखरेख में रखने का फैसला किया है. साथ ही रॉय को इस बात की चेतावनी भी दी गई है कि ये आतंकी का बर्ताव "मनोरोगी जैसा और बेहद हिंसक" है, लेकिन उम्मीद है कि रॉय उसकी जरूरतों का ख्याल रखेंगी.

इस खत को फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने शेयर किया है.

जानिए इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस खत की सच्चाई क्या है

इस जवाब में यह भी कहा गया है कि 'डिपार्टमेंट ऑफ नेशनल डिफेंस’ ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया है जिसका नाम है 'लिबरल्स एक्सेप्ट रिस्पॉन्सिबिलिटी फॉर किलर्स प्रोग्राम', या LARK.

इस खत के बारे में क्विंट से कई लोगों ने पूछताछ की और इसकी सच्चाई के बारे जानना चाहा.

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पड़ताल में हमें क्या मिला

ऑनलाइन पोस्ट के कंटेंट की तलाश करने पर, हम एक यूजर ऋषि बागरी के एक ट्वीट तक पहुंचे, जिसने साल 2014 में यही खत पोस्ट किया था. दिलचस्प बात ये है कि बागरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फॉलो करते हैं. बागरी को कई मौकों पर गलत सूचनाएं फैलाते हुए पकड़ा गया है.

जानिए इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस खत की सच्चाई क्या है

पड़ताल में हमें कई ऐसे पुराने पोस्ट मिले, जिससे पता चला कि यह खत इससे पहले 2016 और 2018 में भी वायरल हो चुका है.

जानिए इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस खत की सच्चाई क्या है
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अपनी पड़ताल में हमें एक खत मिला जो Mediacrooks नामक एक ब्लॉग पर पोस्ट किया गया था. इसमें कहा गया था कि यह खत एक "कनाडाई उदारवादी महिला" द्वारा लिखा गया, जिसमें उसने अफगानिस्तान में "बंदी विद्रोहियों" के साथ हो रहे बर्ताव के बारे में शिकायत की थी. लेकिन इस पोस्ट में सागरिका घोष, कविता कृष्णन, बरखा दत्त और राणा अयूब पर भी निशाना साधा गया था.

जानिए इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस खत की सच्चाई क्या है

ऐसे ही एक खत का एक और ऑनलाइन वर्जन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की ओर से लिखा मिला. एक और वर्जन कनाडा के पूर्व रक्षा मंत्री गॉर्डन ओ'कॉनर की तरफ से लिखा मिला.

फैक्ट चेकिंग वेबसाइट Snopes ने साल 2005 में इस दावे को खारिज किया था. वेबसाइट के मुताबिक, 'LARK प्रोग्राम’ एक व्यंग्यात्मक विचार था, जिसे अलग-अलग नामों के साथ कई वर्षों से शेयर किया जाता रहा है. स्नोप्स ने इस बात का भी जिक्र किया कि इस खत में जो विचार रखे गए, उसकी 2002 में जिम ह्यूबर द्वारा प्रकाशित एक कार्टून के साथ समानता है.

हमने अपनी पड़ताल में ये भी पाया कि विलियम पेन द्वारा लिखित 'द पनामा कॉन्सपिरेसी' नामक एक किताब में इसी तरह के खत का उल्लेख मिलता है.

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अरुंधति रॉय ने खुद ऐसे किसी खत से इनकार किया है

चूंकि यह खत बार-बार वायरल हुआ है, इसलिए लेखिका अरुंधति रॉय ने खुद इस तरह के किसी भी खत में खुद के शामिल होने से इनकार किया है.
फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट AltNews से बात करते हुए, रॉय ने साल 2018 में कहा था कि यह खत 'नकली' है और उन्होंने कभी इस तरह का खत नहीं लिखा है, और ना ही एनएसए के साथ उनकी कभी कोई बातचीत हुई है.

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