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Fact Check: बच्चों की किडनैपिंग का स्क्रिप्टेड वीडियो असली घटना का बता वायरल

वायरल वीडियो के लंबे वर्जन में इस्तेमाल किए गए डिसक्लेमर से साफ होता है कि ये वीडियो असली घटना का नहीं है.

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ नकाबपोश लोग बच्चों को खरीदने-बेचने से जुड़ी बात कर रहे हैं. वीडियो को किडनैपिंग (Kidnapping) की सच्ची घटना बताकर शेयर किया जा रहा है.

वीडियो में कई बच्चों को जंगल में बेहोशी की हालत में पड़े देखा जा सकता है. इन बच्चों के हाथ बंधे हुए हैं और उनके मुंह में टेप लगा हुआ है. बच्चों के बैग भी उनके पास पड़े दिख रहे हैं.
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बैकग्राउंड में जो आवाज सुनाई दे रही है, उसके मुताबिक इन बच्चों को किडनैप करके बेचा जा रहा है.

हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि वीडियो सच्ची घटना का नहीं, बल्कि स्क्रिप्टेड है. इस वीडियो के लंबे वर्जन में एक डिसक्लेमर दिख रहा है, जिसमें बताया गया है कि ये वीडियो 'पूरी तरह से काल्पनिक' है.

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दावा

वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि इसमें बच्चों को किडनैप करने वाला गैंग दिख रहा है.

वायरल वीडियो के लंबे वर्जन में इस्तेमाल किए गए डिसक्लेमर से साफ होता है कि ये वीडियो असली घटना का नहीं है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

ऐसे ही और पोस्ट के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

क्विंट की WhatsApp टिपलाइन पर भी इस वीडियो से जुड़ी कई क्वेरी आई हैं.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVid का इस्तेमाल कर हमने वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा. हमने इनमें से कुछ कीफ्रेम पर 'बच्चों की किडनैपिंग' जैसे कीवर्ड का इस्तेमाल कर रिवर्स इमेज सर्च किया.

इससे हमें फेसबुक पर 9 जुलाई 2022 को अपलोड किया गया इस वीडियो का लंबा वर्जन मिला. इस वीडियो को सचिन ठाकुर नाम के एक यूजर ने अपलोड किया था, जो एक यूट्यूब चैनल भी चलाता है.

वीडियो के कैप्शन में लिखा था, ''बच्चों को किडनैप करने वाले please share video''.

इस वीडियो के 0:30 टाइममार्क पर एक हिंदी और इंग्लिश में लिखा डिसक्लेमार भी देखा जा सकता है. इसमें बताया गया है, ''कृपया वीडियो डिस्क्रिप्शन को ध्यान से पढ़ें. ये कोई सच्ची घटना नहीं है.''

वायरल वीडियो के लंबे वर्जन में इस्तेमाल किए गए डिसक्लेमर से साफ होता है कि ये वीडियो असली घटना का नहीं है.

वीडियो के लंबे वर्जन का पहला डिसक्लेमर

(फोटो: Altered by The Quint)

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वीडियो के 1 मिनट 27वें सेकेंड पर, एक और डिसक्लेमर का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें लिखा है, ''ये पूरी तरह से काल्पनिक है. वीडियो में दिखाई गई सभी घटनाएं स्क्रिप्टेड हैं और इसे जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया है. ये किसी भी तरह की एक्टिविटी को बढ़ावा नहीं देता है और न ही किसी भी तरह के रिवाज को बदनाम करता है. इस वीडियो का किसी वास्तविक घटना से कोई संबंध नहीं है.''

वायरल वीडियो के लंबे वर्जन में इस्तेमाल किए गए डिसक्लेमर से साफ होता है कि ये वीडियो असली घटना का नहीं है.

वीडियो के लंबे वर्जन में दूसरा डिसक्लेमर

(फोटो: Altered by The Quint)

हम इस स्क्रिप्टेड वीडियो के ओरिजिनल क्रिएटर को स्वतंत्र रूप से वेरिफाई नहीं कर पाए, लेकिन डिसक्लेमर्स से ये साफ होता है कि ये वीडियो किसी सच्ची घटना का नहीं है.

हमने इस वीडियो को जुलाई में अपलोड करने वाले यूजर सचिन ठाकुर से भी संपर्क किया है. जवाब आते ही स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

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