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दरगाह पर पुलिस की सलामी का वीडियो, गलत दावे के साथ वायरल

दरगाह पर पुलिस की सलामी की परंपरा महाराष्ट्र सरकार ने शुरू नहीं कराई, सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है 

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि वीडियो मुंबई के माहिम में स्थित सूफी संत मखदूम माहिमी की दरगाह का है. दावा किया जा रहा है कि ये परंपरा महाराष्ट्र की शिवसेना-कांग्रेस सरकार ने शुरू की है.

हमारी पड़ताल में सामने आया कि ये परंपरा कम से कम 100 साल पुरानी है. कुछ न्यूज रिपोर्ट से पता चलता है कि मखदूम माहिमी को 15वीं शताब्दी से ही मुंबई पुलिस का संरक्षक माना जाता रहा है.

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दावा

वीडियो के साथ शेयर किया जा रहा मैसेज है -  मुंबई पोलीस पीर हजरत मकदूम शाह को सलामी दे रही है क्या कभी किसी मंदिर में सलामी दी?? शिवसेना अब अपने अंतिम पड़ाव पे है..

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पड़ताल में हमने क्या पाया

गूगल पर अलग-अलग कीवर्ड सर्च करने से हमें एक यूट्यूब वीडियो मिला. वीडियो 29 दिसंबर 2020 को अपलोड किया गया है. इसमें देखा जा सकता है कि मुंबई पुलिस दरगाह पर सलामी दे रही है. वीडियो के कैप्शन से पता चलता है कि ये हर साल होने वाला समारोह है.

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पड़ताल के दौरान हमें स्क्रॉल, सबरंग और इंडियन एक्सप्रेस की कुछ रिपोर्ट्स भी मिलीं. जिनसे पता चलता है कि मुंबई पुलिस सूफी संत की दरगाह पर 1917 से ही सलामी देती आ रही है.

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स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन सूफी संत मखदूम अली महिमी की दरगाह पर पुलिस सलामी देती है, उन्हें मुंबई पुलिस का संरक्षक संत माना जाता है. “साल में एक बार महिमी के उर्स पर शहर भर के हजारों लोग यहां इकट्ठा होते हैं. उर्स में पहली चादर चढ़ाने और दरगाह की सजावट का काम मुंबई पुलिस ही करती है.

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सबरंग वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 1911 के गजट में माहिम इलाके के पुलिस ऑफिसर्स को हर साल दरगाह पर होने वाले समारोह में पहली चादर चढ़ाने का आदेश दिया गया था .

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मतलब साफ है कि वीडियो में पुलिस द्वारा दरगाह पर सलामी देने की जो परंपरा दिख रही है, वो 100 साल से ज्यादा पुरानी है. सोशल मीडिया पर वीडियो को इस झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि शिवसेना सरकार ने ये परंपरा शुरू कराई.

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