कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर लॉकडाउन से जुड़ी कई फेक खबरें वायरल हो रही हैं. साल 2020 में लॉकडाउन करने की घोषणा के वीडियो इस भ्रामक दावे के साथ वायरल किए जा रहे हैं कि देश के अलग-अलग जगह हिस्सों में फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया है.
हमने ऐसी फेक न्यूज की पड़ताल कर इन्हें खारिज किया है. एक नजर डालते हैं इन फेक खबरों पर जिनका सच जानना आपके लिए जरूरी है.
बढ़ते कोरोना केस की वजह से कर्नाटक में फिर लॉकडाउन?झूठा है ये दावा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का मार्च 2020 का वीडियो हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है. इसमें वो कोरोना महामारी की शुरुआत में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए दिख रहे हैं.
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया है, ''राज्य में एक सप्ताह के लिए कोरोना आपातकाल. मॉल, सिनेमा और पब बंद कर दिए गए हैं.
पड़ताल में हमने पाया कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मार्च 2020 में कोरोनावायरस की वजह से कलबुर्गी के एक बुजुर्ग की मौत के बाद, एक सप्ताह के लिए लॉकडाउन की घोषणा की थी. सभी यूनिवर्सिटी, कॉलेज, मॉल, पब, सिनेमा हॉल और नाइट क्लब बंद कर दिए गए थे.
हमें यूट्यूब पर 13 मार्च 2020 को अपलोड किया गया स्थानीय न्यूज चैनल NewsFirst Kannada का ओरिजिनल वीडियो मिला. इस वीडियो पर वही लोगो लगा है जो वायरल वीडियो में दिख रहा है.
हमने राज्य के स्वास्थ्य विभाग से भी बात की. उन्होंने भी कन्फर्म किया कि इस तरह का फैसला नहीं लिया गया है. मतलब साफ है कि पिछले साल के वीडियो को हाल का बताकर इस गलत दावे से वायरल किया जा रहा है कि कर्नाटक में लॉकडाउन लगाया गया है.
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UP में नहीं हुई लॉकडाउन की कोई घोषणा, पुराना वीडियो हो रहा वायरल
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का एक वीडियो हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है जिसमें वो 15 जिलों में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए दिख रहे हैं.
'Guddu Shah’ नाम के एक यूजर ने 13 मार्च को ये वीडियो शेयर किया था. जिसमें लिखा गया था कि यूपी में फिर से लॉकडाउन लगने जा रहा है. इसके अलावा, और भी कई यूजर्स ने ये वीडियो शेयर कर यही दावा किया था.
पड़ताल में हमने पाया कि यूपी के सीएम ने कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर 2020 में 23 मार्च से 25 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा की थी. ये वीडियो 22 मार्च 2020 को 'Kadak' (कड़क) नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था. इस वीडियो में 'निचोड़' लिखा हुआ एक लोगो भी लगा हुआ है. 'निचोड़' कड़क की एक सीरीज है. इस लोगो को वायरल वीडियो में भी देखा जा सकता है. ओरिजिनल वीडियो को 22 मार्च 2020 को अपलोड किया गया था. आप नीचे वीडियो अपलोड होने की तारीख और ओरिजिनल वीडियो में लगा वही लोगो देख सकते हैं जो वायरल वीडियो में दिख रहा है.
न्यूज एजेंसी IANS की 17 मार्च की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने राज्य के किसी भी हिस्से में नाइट कर्फ्यू या लॉकडाउन की संभावना से इनकार कर दिया था.
मतलब साफ है कि एक साल पुराने वीडियो को हाल का बताकर इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी में 15 जिलों में लॉकडाउन लगा दिया है.
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विजयवाड़ा में फिर से होगा लॉकडाउन? गलत दावे से पुराना वीडियो वायरल
कर्नाटक और यूपी की ही तरह आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में भी लॉकडाउन की घोषणा के पुराने वीडियो को हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है.
करीब 2 मिनट के इस बुलेटिन को अंग्रेजी में इस दावे के शेयर किया गया है, जिसका हिंदी अनुवाद है: "विजयवाड़ा शहर में 26 मार्च से लॉकडाउन. विजयवाड़ा के लोगों अपनी ग्रॉसरी, दवाओं और दूसरी चीजों का इंतजाम कर लें.
जब हमने इस वीडियो की पड़ताल की तो ये वीडियो पिछले साल का निकला. वायरल हो रहे न्यूज बुलेटिन के वीडियो में स्थानीय तेलुगू न्यूज चैनल NTV का लोगो लगा है. इसलिए, हमने यूट्यूब पर ‘NTV Vijaywada lockdown’ कीवर्ड सर्च करके देखा. हमें 23 जून 2020 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला, जिसमें वही विजुअल हैं जो वायरल बुलेटिन में हैं.
India Today और The News Minute जैसे मीडिया आउटलेट में भी इस बारे में साल 2020 की रिपोर्ट मिलीं कि विजयवाड़ा में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है.
इसके अलावा, आंध्र प्रदेश सरकार की फैक्ट चेकिंग विंग ने भी ट्वीट करके बताया है कि ''वायरल हो रहा वीडियो जून, 2020 का है. अभी तक कोविड-19 की वजह से आंध्र प्रदेश में लॉकडाउन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.''
मतलब साफ है कि साल 2020 के पुराने बुलेटिन को फिर से शेयर कर गलत दावा किया जा रहा है कि विजयवाड़ा शहर में लॉकडाउन लगने वाला है.
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इससे पहले साल 2021 में लॉकडाउन को लेकर ये खबरें भी खूब वायरल हुई थीं. जैसे रेलवे ने 31 मार्च तक सभी ट्रेनें रद्द कर दीं और दिल्ली में 31 मार्च तक लॉकडाउन लगाया गया है. इन फेक खबरों को भी बिल्कुल उसी तरह फैलाया जा रहा था जैसे ऊपर की फेक खबरों को फैलाया गया है. यानी पिछले साल के बुलेटिन या वीडियो के स्क्रीनशॉट शेयर कर हाल का बताया जा रहा था. हालांकि, क्विंट की पड़ताल में ये खबरें फेक निकलीं.
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