दिवाली (Diwali) की चहल-पहल के बीच सोशल मीडिया पर एक पक्ष जहां प्रदूषण से बचने के लिए पटाखे न जलाने की अपील कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि दिवाली के वक्त पटाखे जलाना इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इससे मच्छर और कीड़े मर जाते हैं. इसलिए पटाखे जलाने चाहिए.
कई यूजर ये दावा करते हुए दिल्ली सरकार के उस फैसले की भी आलोचना कर रहे हैं, जिसमें पटाखे जलाने पर जुर्माने की बात कही गई है. सच्चाई ये है कि वायरल मैसेज पूरा सच नहीं दिखाता. एक्सपर्ट्स और रिसर्च रिपोर्ट्स बताती हैं कि पटाखे का धुआं सिर्फ मच्छरों के लिए नहीं, हर उस जीव के लिए नुकसानदायक है जो सांस लेता है. यानी पटाखे इंसान के श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
क्विंट की फैक्ट चेकिंग टीम 'वेबकूफ; ने इस दावे का पूरा सच जानने के लिए पटाखों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों पर हुई रिसर्च रिपोर्ट्स खंगालीं और एक्सपर्ट्स से भी इस दावे पर बात की.
दूरदर्शन की विज्ञान प्रसारण सेवा में पदस्थ वैज्ञानिक डॉक्टर टीवी वैंकटेश्वरण और पत्रकारों की स्वास्थ्य संबंधी शंकाओं को दूर करने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म Health Desk के एक्सपर्ट्स ने क्विंट को बताया कि ये सच है कि पटाखे जलाने का मच्छरों और अन्य कीट आदि पर बुरा असर पड़ता है. लेकिन, चूंकि इंसान भी एक सांस लेने वाला प्राणी है, इसलिए पटाखे जलाने का उतना ही या कई बार उससे ज्यादा बुरा असर इंसानों के फेंफड़ों पर भी पड़ता है. कीड़े-मकोड़ों को मारने के लिए किसी ऐसी चीज का इस्तेमाल करना बिल्कुल भी लॉजिकल नहीं है जिसका बुरा असर इंसानों पर भी पड़े.
सोशल मीडिया पर कैसे गिनाए जा रहे पटाखे जलाने के फायदे ?
वायरल हो रहे अलग-अलग तरह के मैसेज में दावा किया जा रहा है कि पटाखे जलाना फायदेमंद है, क्योंकि इससे मच्छर और कई कीट मर जाते हैं. कई मैसेज में ये दावा करते हुए दिल्ली सरकार पर निशाना साधा जा रहा है.
सिर्फ मच्छर नहीं, इंसानों के लिए भी खतरनाक है पटाखों का धुआं
हमने वायरल मैसेज में किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए दूरदर्शन की विज्ञान प्रसारण सेवा में पदस्थ वैज्ञानिक डॉ. टीवी वैंकटेश्वरण से संपर्क किया. और उनसे पूछा कि क्या वाकई दिवाली पर पटाखे जलाना फायदेमंद है और इससे मच्छर मर जाते हैं ?
डॉ. वैंक्टेश्वरण ने क्विंट को बताया कि पटाखों का धुआं हर सांस लेने वाले जीव के लिए हानिकारक है, फिर चाहे वो मच्छर हो या इंसान. वायरल मैसेज में ये तो बताया जा रहा है कि इससे मच्छर, कीड़े-मकोड़े भाग जाते हैं या मर जाते हैं. लेकिन, ये नहीं बताया गया कि इंसान भी एक सांस लेने वाला जीव है उसे भी पटाखों के धुएं से उतना ही नुकसान है.
सिर्फ इस आधार पर पटाखों के धुएं को फायदेमंद मान लेना बिल्कुल भी लॉजिकल नहीं है क्योंकि उनसे मच्छर मर जाते हैं. क्योंकि मच्छर ही नहीं, पटाखों का धुआं सांस लेने वाले हर जीव के लिए हानिकारक है और इसमें इंसान भी शामिल है. अगर बारूद का धुआं इतना ही उपयोगी और कारगर होता तो हम हर वक्त मच्छर भगाने के लिए उसी का उपयोग करते. लेकिन, हमने मच्छर और अन्य कीड़ों को भगाने के लिए दूसरे विकल्प इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि बारूद का धुआं इंसान के लिए भी नुकसानदायक है.डॉ टीवी वैंकटेश्वरण, वैज्ञानिक
डॉ. वैंकटेश्वरण ने आगे कहा ''केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से इसलिए ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाता है, क्योंकि उनका धुआं उतना ज्यादा हानिकारक नहीं होता जितना सामान्य पटाखों का होता है. ''
अब हमने पत्रकारों की स्वास्थ्य और विज्ञान से जुड़े सवालों के समाधान करने वाले प्लेटफॉर्म हेल्थ डेस्क से संपर्क किया. जहां संबंधित विषय के एक्सपर्ट्स की टीम सवालों के जवाब देती है. हेल्थ डेस्क टीम ने क्विंट को मेल पर दिए जवाब में कहा ''पटाखों में perchlorate नाम का ऑक्सिडाइजर मौजूद हो सकता है, जो इंसान के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. ज्यादा चिंता की बात ये है कि ये ऑक्सिडाइजर पीने के पानी को भी दूषित कर सकता है''.
हेल्थ डेस्क की टीम ने आगे बताया ''पटाखों का धुआं बेशक मच्छरों और अन्य कीड़ों को मार सकता है. लेकिन, ये इंसान के श्वसन तंत्र (Respiratory Track) को भी नुकसान पहुंचाता है. पटाखे जलाने से होने वाला धुआं इंसान और जानवर दोनों के लिए ही हानिकारक है. और सबसे ज्यादा जरूरी बात ये है कि पटाखों का धुआं एयर क्वालिटी को खराब करता है जो पूरे ही पर्यावरण के लिए हानिकारक है''
पटाखों के धुएं पर क्या कहती हैं रिपोर्ट ?
Science Direct में साल 2015 में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के जश्न में की गई आतिशबाजी का एयर क्वालिटी पर क्या प्रभाव पड़ा, इस रिपोर्ट में देश भर की 315 एयर क्वालिटी को मॉनिटर करने वाली साइट्स के डेटा का अध्यन किया गया है.
इस डेटा के आधार पर रिपोर्ट कहती है कि आतिशबाजी के असर के रूप में 4 और 5 जुलाई के बीच प्रदूषण का स्तर 42% तक बढ़ा, उन दिनों की तुलना में जब प्रदूषण कंट्रोल में रहता है.
मच्छर भगाने के लिए पटाखे जलाना बेहतर विकल्प नहीं
वैज्ञानिक डॉ. टीवी वैंकटेश्वरण कहते हैं कि ''पटाखे जलाने से मच्छरों के मरने की संभावना नहीं है. पर अगर ये एक बेहतर विकल्प होता तो हम इसे सिर्फ दिवाली पर नहीं हमेशा ही उपयोग कर रहे होते. बारूद का धुआं इंसान के फेंफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. अगर मच्छर या कीड़े आदि को वातावरण से बाहर करना ही उद्देश्य है तो इंसान ने अब तक ऐसा करने के कई अन्य तरीके ईजाद किए हैं.''
पहला तरीका है ऐसे केमिकल जो केवल मच्छरों और बाकी कीड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, इंसान को नहीं.
दूसरा विकल्प बायोलॉजिकल है, जिसके तहत कुछ खास तरह की मछलियों को पाला जाता है जो मच्छरों को खाती हैं.
तीसरा फिजिकल मेथड है, जिसके तहत ऐसे ऑइल में पेपर को डिप किया जाता है जो मच्छरों को आकर्षित करता है, मच्छर या अन्य कीड़े आकर उससे चिपक जाते हैं.
मतलब साफ है, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज पूरा सच नहीं बताता. मैसेज में ये तो बताया गया है कि पटाखे के धुएं से मच्छर मरते हैं. लेकिन, ये नहीं बताया गया कि ये धुआं सिर्फ मच्छर नहीं सांस लेने वाले हर जीव के लिए हानिकारक है. जाहिर है ये दावा सच नहीं है कि पटाखे जलाना फायदेमंद है.
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