विश्व हिंदू परिषद की यूथ विंग बजरंग दल, जो कट्टर हिंदूवादियों का संगठन है, का जन्म राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष में ‘रक्षक’ के तौर पर 1984 में हुआ था. अब इसे फेसबुक पर जगह मिल रही है. हालांकि कई समूह और पेज हैं, जहां अक्सर गलत सूचनाएं और नफरत भरे भाषण मिल जाते हैं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की हालिया रिपोर्ट में यह पाया गया है कि सोशल मीडिया जायंट फेसबुक ने दक्षिणपंथी समूह बजरंग दल, सनातन संस्था और श्रीराम सेना पर जहरीले भाषणों से हिंसा फैलाने की कोशिश के खिलाफ कार्रवाई से खुद को रोक लिया. उसे डर था कि भारत में उसके ऑपरेशन पर इसका असर होगा.
बहरहाल भारत में फेसबुक के प्रमुख अजित मोहन ने एक संसदीय पैनल से बुधवार 16 दिसंबर को कहा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इसकी सोशल मीडिया पॉलिसी के विरुद्ध इस प्लेटफॉर्म पर कोई सामग्री नहीं मिली,
इस रिपोर्टर ने पांच सार्वजनिक समूहों को पकड़ा, जिसके पास बड़ी संख्या में फॉलोअर्स थे और जो एक निजी समूह ‘बजरंग दल Group मे कट्टर हिंदू जुड़े (BAJRANG DAL)‘ से जुड़े थे. जहां 98 हजार से ज्यादा कट्टर हिंदू बजरंग दल के नाम पर साझा की जा रही सूचनाओं पर नजर रख रहे थे.
इस रिपोर्ट में आगे हम कुछ उदाहरणों के जरिए दिखाएंगे कि किस तरह ये समूह न सिर्फ नफरत फैला रहे हैं, बल्कि भारत के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए गलत सूचनाओं पर निर्भर रहे हैं.
बजरंग दल के नाम से फेसबुक पर कई ग्रुप
जब हम हिंदूराष्ट्रवादी ग्रुप के संपर्क में आए तो उन्होंने बताया कि ‘बजरंग दल का कोई आधिकारिक फेसबुक ग्रुप या पेज नहीं है’, लेकिन फेसबुक पर बजरंग दल के नाम से सर्च करने से कई ग्रुप और पेज का पता चला, जो इसी ग्रुप के नाम पर चल रहे हैं और ‘लव जिहाद’, ‘हिंदू खतरे में हैं’ और ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ जैसे जुमलों पर जोर देते हैं.
यह तर्क दिया जा सकता है कि इस ग्रुप का इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि दावा किया गया है, लेकिन 80 हजार और उससे भी ज्यादा फॉलोअर्स वाले ये ग्रुप फेसबुक की कम्युनिटी स्टैंडर्ड गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हैं, फिर भी प्लेटफॉर्म पर बने हुए हैं,
ये चंद उदाहरण हैं, लेकिन यह ग्रुप ऐसे कई पोस्ट से अटे पड़े हैं जो अल्पसंख्यकों, विपक्षी दलों को निशाना बनाते हैं और यहां तक कि हिंसा का आह्वान करते हैं.
हमने पाया कि ग्रुप के पहले पोस्ट में सदस्यों से अपील की गई थी कि ‘धर्मनिरपेक्ष हिंदुओं’ को आमंत्रित करें और उन्हें ‘कट्टर’ बनाएं.
सबके केंद्र में हैं गलत सूचनाएं
एक समूह है ‘बजरंग दल जोड़ो अभियान। ग्रुप में 11 बजरंग दल वालों को जोड़िए’, जिसके 52 हजार से ज्यादा सदस्य हैं, वर्तमान किसान आंदोलन के बीच एक यूजर यहां एक वीडियो पोस्ट करता है जिसमें कहा गया है कि किसानों का आंदोलन महज हिंदुओं को बांटने के लिए कांग्रेस का षडयंत्र है.
उसका दावा है कि एक भी किसान ने ‘जय भारत माता’ या ‘जय किसान’ जैसे नारे नहीं लगाए हैं लेकिन आप ‘खालिस्तान जिन्दाबाद’ जैसे नारे सुन सकते हैं. क्विंट ने ऐसे कई पुराने, वायरल हुए अन्य वीडियो खोज निकाले जिसमें दावा किया गया था किसानों के प्रदर्शन स्थल पर खालिस्तानी नारे लगाए गए. तथ्यों की पड़ताल के क्रम में आप इनमें से कुछ को यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
एक अन्य यूजर ने 28 मिनट का लंबा वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह आम आदमी पार्टी का टी शर्ट पहने हुए कार्यकर्ताओं का एक वायरल वीडियो दिखाता है जिसमें वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से प्रदर्शनकारी किसानों को 300 रुपये देने का दावा कर रहा है. इस वीडियो के जरिए भी गलत संदेश देने के लिए गलत सूचनाओं का सहारा लिया जा रहा है.
‘BAJRANG DAL ALL INDIA OFFICIAL’ नामक एक अन्य समूह में, जिसके 17,500 सदस्य हैं, एक यूजर प्रदर्शनकारी किसान की एक फोटोशॉप्ड फोटो करता है और दावा करता है कि मुसलमान किसान बन गया है और प्रदर्शन का ‘अपहरण’ हो चुका है.
सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंबर सिन्हा ध्यान दिलाते हैं कि सोशल मीडिया पर महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ अक्सर गाली-गलौच की जाती है, उन्हें ट्रोल किया जाता है और वैसी भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रतिबंधित हैं.
“पहले से ही यहां डेमोग्राफी के ख्याल से संतुलन रख पाने वाला प्रतिनिधित्व नहीं है और इस प्लेटफॉर्म पर उनकी जो आवाज है और जिस तरह से वे ऑनलाइन दूसरों को परेशान करते हैं उसका असर अल्पसंख्यकों पर पड़ता है।”अम्बर सिन्हा, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी
सिन्हा यह भी कहते हैं कि इसी कारण से यूजर का सशक्त होना जरूरी है और “प्लेटफॉर्म को कम्युनिटी गाइडलाइंस को लेकर निश्चित रूप से पारदर्शी होना चाहिए.”
प्लेटफॉर्म पर बुलंद है- ‘हिन्दू खतरे में हैं’
‘बजरंग दल’ के नाम से अन्य पेज है जिसके फेसबुक पर 58 हजार फॉलोअर्स हैं. यह अक्सर विश्व हिंदू परिषद और इसके प्रमुख सदस्यों के कार्यक्रमों को साझा किया जाता है.
इसने वीएचपी महासचिव मिलिंद परांदे का एक वीडियो होस्ट किया जिसमें वे कह रहे हैं कि हिंदुओं पर मुसलमान हमले कर रहे हैं. वे एक घटना का उदाहरण देते हैं जो बिहार के गोपालगंज में मार्च में हुई थी. इसमें नाबालिग बच्चा रोहित जायसवाल को कथित रूप से मारकर नदी में फेंक दिया गया था. वो इसे नयी मस्जिद के लिए दी गयी ‘कुर्बानी’ बताते हैं.
इस गंभीर आरोप के कारण इस वीडियो की खूब चर्चा रही, लेकिन बाद में यह दावा गलत निकला. जब दक्षिण पंथी वेबसाइट OpIndia ने भी अपनी वेबसाइट पर ऐसी ही रिपोर्ट दिखयी थी, तब क्विंट ने इस दावे को डिबंक किया था.
वीडियो में परांदे ‘हिंदू खतरे में हैं’ की भावना भड़काते हुए निराधार दावे करते हैं कि हिंदुओं को अक्सर निशाना बनाया जाता है और उन्हें मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंसा झेलनी पड़ती हैं.
फेसबुक ने ऐसे नफरत भरे भाषणों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर अक्सर जोर दिया है. कम्युनिटी स्टैंडर्ड गाइडलाइंस में साफ तौर पर कहा गया है, “हम नफरत भरे भाषणों की अनुमति नहीं देते क्योंकि इससे डर का माहौल बनता है और कई मामलों में यह विश्व भर में हिंसा को बढ़ावा देता है.” वह आगे कहता है कि यह संस्था “किसी भी समय जानकारी मिलते ही नफरत भरे भाषणों को खत्म करने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं.”
बहरहाल विशेषज्ञों ने पाया है कि फेसबुक, अपनी सामग्री को दुरुस्त करने में, खासकर भारत में, विफल रहा है.
सेंटर फॉर इंटरनेट एंट सोसायटी में रिसर्चर तोरशा सरकार इक्वलिटी लैब की रिसर्च हवाला देती हैं, जो साउथ अमेरिकन ह्यूमन राइट्स एंड टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप है. इसने पाया है कि फेसबुक में सामग्री को दुरुस्त करने वाली टीम सक्षम नहीं है.
“इसके ज्यादातर स्टाफ सामाजिक-आर्थिक रूप से संपन्न समूह हैं, जरूरत इस बात की है कि फेसबुक में विभिन्न धर्मों और अन्य वर्गों के लोगों को जोड़ा जाए, उनकी टीम के पास सभी भारतीय भाषाओं को देखने के लिए संसाधन नहीं हैं, इससे उन भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों के हिसाब से सामग्री पर नियंत्रण रख पाने में वे सक्षम नहीं हो पाते हैं।”तोरशा सरकार
इस बीच इस्लाम और ईसाई के खिलाफ व्यंग्य करते हुए ऐसे ग्रुप और पेज भारत में नफरत फैला रहे हैं जिनसे हजारों फॉलोअर्स जुड़े हैं.
लव जिहाद, गो रक्षा
‘लव जिहाद’ के रूप में दक्षिण पंथी षडयंत्र के सिद्धांत ने ‘हिन्दू खतरे में हैं’ की सोच को और मजबूत किया है. कई बीजेपी शासित राज्यों में इसके विरोध में कानून लाने की तैयारी है. बजरंग दल के पेज में पोस्ट किया गया है कि ‘इस्लामिक जिहादी मानसिकता’ के कारण लव जिहाद का जन्म हुआ है और ऐसी ‘देश विरोधी गतिविधियों’ के लिए कानपुर को केंद्र बनाया गया है.
पोस्ट कहता है, “ऐसे असामाजिक तत्वों को बजरंग दल के कार्यकर्ता सबक सिखाएंगे.”
लव जिहाद की साजिश को हवा देने के लिए BAJRANG DAL ALL INDIA OFFICIAL के एक सदस्य ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें एक महिला दूध की दुकान पर हंगामा कर रही है. अपने पति को धोखेबाज बता रही है जिसने झूठा दावा किया. शादी करने के लिए हिंदू लड़की को मुस्लिम युवक ने धोखा दिया.
बहरहाल, जब क्विंट की टीम ने वायरल वीडियो का फैक्ट चेक किया, तो चीफ सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ पुलिस दिनेश अग्रवाल ने बताया कि यह दंपति एक ही जाति और धर्म के हैं.
गो रक्षा को लेकर अक्सर बजरंग दल के सदस्य विवादों में रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर में उत्तर प्रदेश गो वध निषेध कानून 1955 के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए इसे निर्दोष लोगों के विरुद्ध बताया है.
इन फेसबुक ग्रुप पर भी भावनाएं दिखती हैं, जब इसके सदस्य यह कहकर कि “गाय वाला सत्ता में है” हिंसा की चेतावनी देते हैं.
बेनकाब होती नफरत, हिंसा और झूठ
अम्बर सिन्हा कहते हैं कि यह फेसबुक की असफलता है कि वह बड़े पैमाने पर नियामक बनाने और सामग्री को दुरुस्त करने में विफल रहा है. ऐसा करने पर उन्हें पता चलता कि अपने ही कम्युनिटी गाइडलाइंस के हिसाब से पारदर्शिता लाने के लिए किन कदमों को उठाना जरूरी है. इस बारे में अभी बहुत सतही व्याख्या है और अस्पष्ट प्रक्रिया है.
“ये प्लेटफॉर्म बड़ी संख्या में लोगों के लिए खबरों और सूचनाओं का प्राथमिक स्रोत बन रही हैं. इसलिए पर ध्यान देने की निश्चित जिम्मेदारी बनती है और इसका प्रदर्शन करना चाहिए.”अम्बर सिन्हा, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी
ऐसे ग्रुप के सदस्य गलत सूचनाएं साझा करते हैं और दक्षिण पंथी प्रोपगैंडा को आगे बढ़ाते हुए अक्सर विपक्षी दलों को निशाना बनाते हैं.
आर्काइव किया गया वर्जन आप यहां देख सकते हैं.
हिंदुत्व समर्थकों को ऐसे ग्रुप और पेजों पर नफरत फैलाने और साजिश की थ्योरी को बढ़ाने का अवसर मिल जाता है. फेसबुक लाइव में 27 हजार से ज्यादा व्यूज के साथ हिंदुत्व राजनीतिज्ञ का दावा करने वाले सुशील तिवारी हिंदुओं से कहते हैं ‘जागो’.
वे आगे दावा करते हैं कि मुसलमानों की कई पत्नियां और बच्चे होते हैं क्योंकि उनका मकसद आबादी का 35 फीसदी होना है और हिंदुओं के बहुमत को खत्म करना है. वे अपनी आमदनी का इस्तेमाल आतंकवाद की मदद करने में करते हैं.
ऐसे भाषणों के खिलाफ फेसबुक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हमने फेसबुक से इसपर प्रतिक्रिया मांगी है. उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
क्या टेक प्लेटफॉर्म की कार्रवाई पर्याप्त है?
ऐसे टेक जायंट्स को अक्सर नफरत और विभाजनकारी राजनीति का मंच बताया जाता है. जवाब में फेसबुक ने जोर देकर कहा है कि नफरत भरे भाषणों और गलत तथ्यों को लेकर उसकी सोशल मीडिया से जुड़ी नीतियां मजबूत हैं.
फिर भी इन नीतियों के तहत जो कदम उठाए गए हैं, वे ऑनलाइन सूचनाओं को साफ-सुथरा रखने में विफल रहे हैं और इस कारण जैसा कि सिन्हा का सुझाव है कि नियामक की आवश्यकता और अधिक हो जाती है.
सिन्हा कहते हैं, “नियामक के प्रतिमान संतुलित होने चाहिए, क्योंकि हम बड़ा जोखिम उठा रहे हैं. इसलिए अगर सही तरीके से नियामक पर सोचा नहीं जाता है तो चिलिंग स्पीच पर इसका बुरा असर दिखेगा.”
कानूनी भाषा में चिलिंग स्पीच का मतलब है- “ऐसी घटना जिसमें व्यक्ति या समूह अभिव्यक्ति से बचता है कि कहीं वह कानून या नियामक के चक्कर में न पड़ जाए.”
“वे लाभ कमाने वाली मशीनें हैं और जोखिम से बचना चाहते हैं. इसलिए वे अधिक से अधिक सामग्री हटा सकते हैं और चिलिंग स्पीच भी खत्म कर सकते हैं.”अम्बर सिन्हा, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी
अल्पसंख्यक विरोधी राग और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर असंतोष फैलाने के लिए प्रोपगैंडा की वजह से भारत के लोकतंत्र के लिए चुनौती पैदा हो गई है, जिसे बजरंग दल के नाम पर विभिन्न समूहों और पेजों पर देखा जा सकता है.
मार्क जकरबर्ग ने जबकि कहा है कि फेसबुक को ‘सत्य का मध्यस्थ’ नहीं होना चाहिए, उसे इस मंच पर सक्रिय बड़ी संख्या में लोगों के प्रति जवाबदेह होना होगा, जो हर दिन उनकी सूचना के इकोससिस्टम में योगदान करते हैं.
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