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पालघर लिंचिंग केस के आरोपियों का समर्थन कर रहा ये कपल? फेक है दावा

सोशल मीडिया पर किया जा रहा है ये दावा

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16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर जिले में गड चिंचोली गांव में मॉब लिचिंग की घटना सामने आई थी. मुंबई से सूरत जा रहे तीन लोगों की स्थानीय लोगों ने चोरी के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना ने जहां महाराष्ट्र में हंगामा मचा दिया, वहीं इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की फेक न्यूज भी सामने आई.

दावा

फेसबुक पर दो लोगों की तस्वीरों को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि काश्तकारी संगठन नाम के एक संगठन से जुड़े ये लोग हमलावरों को सपोर्ट कर रहे हैं. इनका नाम प्रदीप प्रभु और शिराज बलासा बताया जा रहा है और फेसबुक पर यूजर्स एक फोटो के साथ ये दावा कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर किया जा रहा है ये दावा
सोशल मीडिया पर किया जा रहा है ये दावा

ट्विटर पर भी कई लोगों ने इसी दावे के साथ इसे शेयर किया.

सोशल मीडिया पर किया जा रहा है ये दावा
सोशल मीडिया पर किया जा रहा है ये दावा

सच या झूठ?

क्विंट ये कंफर्म करता है कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है और इस फोटो में दिख रहे लोगों का नाम प्रदीप प्रभु और शिराज बलसारा नहीं, बल्कि केपी जयशंकर और अंजली मॉन्टीरो है- जानें-माने फिल्ममेकर्स और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) में मीडिया एंड कम्युनिकेशन्स के प्रोफेसर्स.

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हमें जांच में क्या मिला?

दावे की सच्चाई पता लगाने के लिए हमें इन तीन सवालों के जवाब चाहिए थे:

  • प्रदीप प्रभु और शिराज बलसारा कौन हैं?
  • काश्तकारी संगठन क्या है और क्या ये संगठन पालघर मामले के आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए काम कर रहा है?
  • तस्वीर में कौन लोग हैं, जिन्हें पोस्ट के साथ शेयर किया जा रहा है?

पहले, हमने गूगल पर 'काश्तकारी संगठन' कीवर्ड के साथ सर्च किया, जिससे हमें कई रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें लिखा है कि ये संगठन पालघर में आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है. इसके बाद, हमने पालघर के एसपी, गौरव सिंह से बात की, जिन्होंने ये कंफर्म किया कि लिंचिंग मामले में आरोपियों के लिए जमानत मांगने में संगठन की कोई भागीदारी नहीं है.

हमनें संगठन में 25 सालों से काम कर रहे एक एक्टिविस्ट से भी बात की, जिन्होंने कहा कि ये संगठन इस मामले में या आरोपियों को जमानत दिलाने में शामिल नहीं है.

हम मुंबई के TISS में प्रोफेसर केपी जयशंकर और अंजली मॉन्टीरो की पहचान करने में कामयाब रहे. मामला समझने के लिए हमने उनसे संपर्क किया.

“हमें इस पोस्ट के बारे में एक फेसबुक फ्रेंड ने बताया. हम ये देखकर डर गए, क्योंकि इसने हमें खतरे में डाल दिया था.”
अंजली मॉन्टीरो, प्रोफेसर, TISS मुंबई

उन्होंने हमें ये भी बताया कि पोस्ट की जानकारी तुरंत फेसबुक को दी गई, जिसके बाद पोस्ट को हटा दिया गया और एक अकाउंट को डीएक्टिवेट कर दिया गया.

प्रोफेसर जयशंकर ने पोस्ट के बारे में कहा, “जब तक हमने पोस्ट को देखा, तब तक इसपर 100 से ज्यादा लाइक्स और शेयर थे. वो पोस्ट अभी भी मौजूद हैं और हमने फेसबुक को फिर से लिखा है कि वो इस मामले में हस्तक्षेप करें."

क्विंट से बात करते हुए प्रोफेसर मॉन्टीरो और प्रोफेसर जयशंकर ने सोशल मीडिया पर हेट स्पीच के खिलाफ एक प्रभावी प्लान की जरूरत पर जोर दिया.

प्रोफेसर मॉन्टीरो ने कहा, "ये हमारे साथ हुआ, लेकिन ये समस्या कोई नई नहीं है और दूसरों को भी इसका सामना करना पड़ा है. मैं सेंसरशिप का समर्थन नहीं करती, लेकिन ये सोशल मीडिया पर इस तरह के खतरों से निपटने में मुश्किलों की ओर इशारा करता है."

“मुझे लगता है कि लोग जो कहना चाहते हैं, उन्हें वो कहने का अधिकार है, लेकिन इससे दूसरे अधिकारों का उल्लघंन नहीं होना चाहिए.”
केपी जयशंकर, प्रोफेसर, TISS मुंबई

इससे साफ होता है कि दोनों प्रोफेसर्स की तस्वीरें गलत दावे के साथ शेयर की जा रही हैं. दोनों न ही कांग्रेस से जुड़े हैं और न ही पालघर लिंचिंग मामले के आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए काम कर रहे हैं.

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