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क्या सही में करुणानिधि ने पूर्व CM को मरीना बीच पर जगह नहीं दी?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस बात की सच्चाई जानिए

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मंगलवार शाम चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती DMK चीफ करुणानिधि के निधन के बाद उन्हें मरीना बीच में दफनाने को लेकर राजनीति गर्म हो गई. सरकार ने पूर्व सीएम को दफनाने का कोई प्रावधान न होने की बात कह कर करुणानिधि को दफनाने से मना कर दिया. इस मामले मद्रास कोर्ट को सुनवाई करनी पड़ी जिसमें सरकार का फैसला बदलना पड़ा.

लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर जोर-शोर से एक बात कही जा रही थी कि करुणानिधि जब सीएम थे तब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राजाजी और कामराज को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जगह देने से मना कर दिया था. क्या ये सच है?

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Karunanidhi, who denied Kamaraj a burial in Marina, is denied the same...Apparently, Karma is a 'beach'!

Posted by Totan Chowdhury on Tuesday, August 7, 2018

लोगों के मुताबिक, करुणानिधि ने राजाजी और कामराज को मरीना बीच पर दफन करने की जगह ये कहकर देने से मना कर दिया था कि वो दोनो पूर्व सीएम हैं और ये जगह सिर्फ तत्कालीन सीएम के लिए दी जा सकती है.

क्या सच में करुणानिधि ने किया था मना?

पूर्व सीएम कामराज की मौत 2 अक्टूबर 1975 को हुई थी, उस वक्त करुणानिधि सीएम थे. हालांकि क्विंट से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार वी जयंत बताते हैं कि कामराज को मरीना बीच पर दफन करने को लेकर समर्थकों की तरफ से मांग नहीं की गई थी.

पूर्व मुख्यमंत्री कामराज को मरीना बीच पर दफन करने के लिए समर्थकों की तरफ से कोई डिमांड नहीं रखी गई थी. ये एक नया चलन है. 
वी जयंत, वरिष्ठ पत्रकार

न्यूज मिनट के मुताबिक कामराज के अंतिम संस्कार के वक्त करुणानिधि सबसे पहले पहुंचे थे और तैयारियों में भी लगातार साथ थे.

कामराज की मौत गांधी जयंती के दिन हुई थी, लिहाजा उन्हें गांधी मंडपम में दफनाया गया. इमरजेंसी के दौरान जब कामराज इंदिरा गांधी के विरोध में थे तब करुणानिधि लगातार उनके साथ रहे. 

ध्यान देने वाली बात ये भी है कि राजाजी, कामराज, भक्तवत्सलम जैसे तमिलनाडु के जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को गांधी मंडपम में दफनाया गया वो कांग्रेसी नेता थे.

राजाजी के बारे में कही जा रही बात में कितनी सच्चाई?

राजाजी के अंतिम संस्कार को लेकर फैल रही अफवाहों पर उनके पोते सी आर केसवन ने न्यूज मिनट से बातचीत में कहा गांधी मंडपम के गुइंडी में स्थित राजाडी निनैवलयम को करुणानिधि ने ही डिजाइन किया था. और राजाजी का अंतिम संस्कार उनकी मर्जी के मुताबिक हुआ था.

दोनों नेताओं के बीच अच्छे संबंधो के बारे में बोलते हुए केसवन ने कहा की राजाजी को दिए गए ताम्र पत्र को करुणानिधि खुद देने आए थे. ये केंद्र सरकार की तरफ से स्वतंत्रता सेनानियों को दिया जाता था.

1971 में स्वतंत्रता सेनानियों को ताम्र पत्र दिया गया था जो कलैनार खुद राजाजी को देने आए थे. 
सी आर केसवन, पूर्व सीएम राजाजी के पोते 

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