न्यूयॉर्क की एक ऐड कंपनी के टाइम्स स्कॉयर पर बिलबोर्ड पर भगवान राम की तस्वीर लगाने से मना करने के बाद, कई न्यूज वेबसाइट ने दावा किया कि ये अमेरिका में ‘मुस्लिम ग्रुप’ के कैंपेन का नतीजा है. लेकिन इन खबरों से उलट, हमने पाया कि ऐड का विरोध कर रहे लोग सिविल राइट्स ग्रुप से हैं, जो सभी धर्मों से आते हैं और उनमें हिंदू लोग भी शामिल हैं.
OpIndia और India.com जैसी वेबसाइट्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि NASDAQ बिलबोर्ड को मैनेज करने वाली ऐड कंपनी - ब्रैंडेड सिटीज नेटवर्क - ने ‘मुस्लिम संगठनों’ के विरोध में याचिका डालने के बाद ऐड के लिए बिलबोर्ड देने से मना कर दिया.
ये कंपनी साउथ एशियन सिविल राइट्स ग्रुप्स के रेनबो गठबंधन के विरोध के कारण विज्ञापन चलाने से इनकार करने के एक दिन बाद आया है.
फैक्ट्स या सलेक्टिव मीडिया आउटरेज?
अपनी रिपोर्ट में, राइट-विंग वेबसाइट्स OpIndia और India.com ने लिखा, “इंडियन माइनॉरिटीज एडवोकेसी नेटवर्क- ImanNet, जस्टिस फॉर ऑल, कोएलिशन ऑफ अमेरिकन्स फॉर प्लूरिज्म इन इंडिया CAPI, नॉर्थ अमेरिकन इंडियन मुस्लिम असोसिएशन NAIMA, इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका, सोशल जस्टिस ICNASJ और द इंटरनेशनल सोसायटी फॉर पीस एंड जस्टिस समेत कई मुस्लिम संगठनों ने याचिका डालकर बिलबोर्ड मैनेज करने वालीं ऐड कंपनियों से LED बिलबोर्ड पर तस्वीर नहीं लगाने के लिए कहा.”
हालांकि, इस रिपोर्ट में उन दूसरे संगठनों का कोई जिक्र नहीं था, जो इस कदम के खिलाफ थे.
सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि ऐड चलाने से मना करना दिखाता है कि प्रशासन ‘जिहादी ताकतों’ के सामने झुक रहा है.
सिविल राइट्स ग्रुप, जिन्होंने बिलबोर्ड के खिलाफ किया प्रदर्शन
31 जुलाई को, अमेरिका में कई सिविल राइट्स ग्रुप ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर को लेटर लिख उनसे अमेरिकन इंडियन पब्लिक अफेयर्स कमेटी (AIPAC) के 5 अगस्त को टाइम्स स्कॉयर पर ‘इस्लामोफोबिक’ बिलबोर्ड चलाने से रोकने का अनुरोध किया. लेटर में लिखा गया कि टाइम्स स्कॉयर पर ऐड चलाना “विश्वास का उत्सव नहीं बल्कि नफरत का उत्सव है.”
क्विंट के हाथ वो लेटर लगा है, जिसे मुस्लिम और गैर-मुस्लिम समेत कई संगठनों ने साइन किया है.
इसमें कोएलिशन अगेन्स्ट फेसिज्म इन इंडिया (CAFI), हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR), ग्लोबल इंडियम प्रोग्रेसिव अलायंस (GIPA), असोसिएशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स, साधना: कोएलिशन ऑफ प्रोग्रेसिव हिंदूज समेत अन्य संगठन शामिल हैं.
हमने HfHR की को-फाउंडर और बोर्ड सदस्य सुनीता विश्वनाथ से भी संपर्क किया, जिन्होंने हमें बताया कि वहां कई ग्रुप साथ में काम कर रहे थे.
“सभी संगठन मुस्लिम नहीं थे. हम सभी ने NYC अधिकारियों, बिलबोर्ड के मालिक पर दबाव बनाया और अपनी आवाज उठाई.”सुनीता विश्वनाथ, को-फाउंडर और बोर्ड सदस्य, HfHR
उन्होंने आगे कहा, “भारतीय प्रवासी समुदाय को साथ में आकर भारत में लोकतंत्र को लेकर बोलना चाहिए, और हिंदुत्व को हराने में मदद करनी चाहिए. इस मूवमेंट में सभी के साथ आने की जरूरत है, जो खुद को हिंदू मानते हैं उन्हें भी.”
GIPA के एक प्रतिनिधित्व ने क्विंट को बताया कि भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों द्वारा था, न कि किसी खास धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा.
“हमारा बयान भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देना नहीं, बल्कि एक समुदाय के सदस्यों के तौर पर, वैश्विक भारतीय प्रवासियों के तौर पर टाइम्स स्कॉयर में होने वाले इस कार्यक्रम के खिलाफ आवाज उठाना है.”GIPA ने बयान में कहा
ये सच है कि सिविल राइट्स ग्रुप के दबाव के कारण ऐड कंपनी ने 5 अगस्त को भगवान राम की तस्वीरें चलाने से मना कर दिया, लेकिन OpIndia द्वारा ये कहना कि ऐसा केवल मुस्लिम ग्रुप द्वारा किया गया, ये दावा गलत है.
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