सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति यह स्वीकार कर रहा है कि उसे तरबूज में लाल आर्टिफिशियल रंग का इंजेक्शन लगाते हुए पकड़ा गया है. इस वीडियो में बोलता दिख रहा शख्स एक पुलिस की वर्दी में है और वही कैमरापर्सन भी है,
दावा : वीडियो के कैप्शन में 'शांतिदूत' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. सोशल मीडिया पर अकसर मुस्लिम समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए तंज के रूप में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इस शब्द के जरिए ये दावा करने की कोशिश है कि वीडियो असली घटना का है, और इसमें मुस्लिम शख्स तरबूज में कलर मिलाता दिख रहा है.
सच क्या है?: यह असली घटना नहीं, बल्कि स्क्रिप्टेड वीडियो है. वीडियो में एक काल्पनिक स्क्रिप्ट होने का डिस्क्लेमर भी दिया गया है.
हमनें सच का कैसे लगाया ?: हमने वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया.
इससे हमें 29 अप्रैल को 'सोशल मैसेज' नाम के अकाउंट से शेयर की गई एक फेसबुक पोस्ट मिली.
वायरल वीडियो इस वीडियो से मेल खाता है और दोनों ने 0:28 टाइमस्टैम्प पर एक डिस्क्लेमर दिया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यह काल्पनिक और स्क्रिप्टेड है.
इसमें लिखा है, "यह वीडियो पूरी तरह से काल्पनिक है. वीडियो की सभी घटनाएं स्क्रिप्टेड हैं और जागरूकता के लिए बनाई गई हैं. इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की गतिविधि को बढ़ावा देना या किसी भी प्रकार के अनुष्ठानों को बदनाम करना नहीं है. वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत से कोई समानता या वास्तविक घटना से समबंध पूरी तरह से संयोग होगा."
तरबूज में मिलावट: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के बारे में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दिशानिर्देश पोस्ट किए हैं.
उन्होंने तरबूज की पहचान करने को लेकर एक वीडियो भी शेयर किया है.
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर एक स्क्रिप्टेड वीडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि एक पुलिस अधिकारी ने एक आदमी को तरबूज में आर्टिफिशयल रंग डालते हुए पकड़ा गया है. वीडियो को गलत सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है.
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