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वेबकूफ राउंडअप: कोरोनिल को WHO की मंजूरी और लॉकडाउन के झूठे दावे

एक नजर में जानिए इस सप्ताह सोशल मीडिया पर किए गए दावे और उनका सच 

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कहीं पतंजलि की कोरोनिल को WHO की मंजूरी मिलने का झूठा दावा किया गया. तो किसी ने प्रियंका गांधी पर रेप सर्वाइवर के परिवार को इग्नोर करने का आरोप लगाया. महाराष्ट्र में लॉकडाउन की झूठी खबरों से लेकर पेट्रोल पर टैक्स के गलत आंकड़ों वाले वायरल मैसेज तक. ऐसी कई अफवाहें सोशल मीडिया पर तैरती मिलीं, जिनका सच वेबकूफ ने आप तक पहुंचाया. एक नजर में जानिए पूरे सप्ताह के ऐसे ही भ्रामक दावों का सच

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1. पेट्रोल पर केंद्र से ज्यादा टैक्स ले रहे हैं राज्य? झूठा है दावा

सोशल मीडिया पर एक वायरल मैसेज में दावा किया जा गया कि पेट्रोल पर केंद्र सरकार से ज्यादा राज्य सरकार टैक्स वसूल रही हैं. ये दावा उस वक्त किया जा रहा है जब देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं. जाहिर है महंगे पेट्रोल को लेकर इस समय केंद्र सरकार निशाने पर है.

वायरल मैसेज के मुताबिक केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर सिर्फ 16 रुपए टैक्स लेती है. जबकि राज्य सरकारें एक लीटर पेट्रोल पर 40 रुपए से ज्यादा टैक्स लेती हैं. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा फेक निकला.

वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. महंगे पेट्रोल के पीछे केंद्र से ज्यादा राज्य का टैक्स जिम्मेदार है, असल में पेट्रोल की कीमत का सबसे बड़ा हिस्सा सरकार की एक्साइज ड्यूटी (लगभग 33 रुपए प्रति लीटर) है.

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2. पतंजलि की कोरोनिल को नहीं मिला WHO का अप्रूवल

सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पतंजलि की कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अप्रूवल मिल गया है. इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा ने भी ट्विटर पर यही दावा किया.

WHO ने क्विंट को दिए जवाब में बताया कि संगठन की तरफ से किसी भी पारंपरिक दवा को इलाज के लिए रिव्यू या सर्टिफाइड नहीं किया गया है. पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने एक ट्वीट में इस दावे को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया

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3. केरल में यूपी के CM योगी के स्वागत की नहीं है ये तस्वीर

बीजेपी के पार्टी चिन्ह कमल के आकार के ह्यूमन फ्लेग की एक फोटो वायरल हुई. दावा किया गया कि फोटो 21 फरवरी को शुरू हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के केरल दौरे की है, केरल में योगी का इस तरह स्वागत किया गया.

बीजेपी नेता मनीष सिंह ने फोटो शेयर कर ट्वीट किया - वामपंथी अब कहीं नजर नहीं आएंगे क्योंकि कमल खिल रहा है! ट्वीट के साथ मनीष ने योगी के केरल दौरे से जुड़ा हैशटेग भी शेयर किया. यानी फोटो को केरल का बताया.

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि फोटो साल 2015 की है. जब बीजेपी स्थापना दिवस पर गुजरात के कार्यकर्ताओं ने कमल के आकार का ह्यमून फ्लेग बनाया था. फोटो के साथ किया जा रहा दावा फेक है.

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4. प्रियंका ने रेप सर्वाइवर के परिवार को अनसुना किया?

रिपब्लिक भारत की रिपोर्ट में दावा किया गया कि मथुरा में किसान पंचायत को संबोधित करने पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा ने रेप सर्वाइवर के परिवार को अनसुना कर दिया. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस दावे को सच मानकर शेयर किया.

वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा फेक निकला. प्रियंका गांधी के भाषण के लाइव वीडियो में भी देखा जा सकता है कि वे मंच से उतरकर नारेबाजी कर रहे लोगों से मिलने पहुंचीं. 8:55 मिनट का वीडियो गुजरने के बाद प्रियंका को भाषण बीच में रोककर ही मंच से उतरते हुए देखा जा सकता है.

NDTV की 23 फरवरी 2021 की रिपोर्ट भी हमें मिली. जिसके मुताबिक प्रियंका गांधी अपने भाषण को बीच में रोककर ही राजस्थान रेप केस पीड़िता के परिवार से मिलीं.

पत्रकार प्रशांत कुमार ने पीड़िता की मां से मिलती प्रियंका गांधी की फोटो भी ट्वीट की है.

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5. सीएम ठाकरे ने नहीं किया 1 मार्च से लॉकडाउन का ऐलान, झूठा है दावा

रीजनल न्यूज चैनल TV9 मराठी के लोगो वाले एक स्क्रीनशॉट से छेड़छाड़ करके, सोशल मीडिया पर झूठे दावे के साथ उसे शेयर किया गया.  दावा किया गया कि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्य में बढ़ते कोविड-19 मामलों की वजह से 15 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है.

22 फरवरी से महाराष्ट्र के अमरावती में एक सप्ताह के लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है. पुणे, यवतमाल और अकोला जैसे इलाकों में भी कुछ प्रतिबंधों की घोषणा की गई है. सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर कोविड-19 से जुड़े दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं होता है तो पूरे महाराष्ट्र में लॉकडाउन लगाने पर विचार करना पड़ सकता है. हालांकि, इस खबर को लिखने तक ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की गई है कि महाराष्ट्र में 1 मार्च से लॉकडाउन होगा.

नीचे असली और वायरल बुलेटिन में फर्क देखा जा सकता है. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि वायरल स्क्रीनशॉट में टेक्स्ट प्लेट का फॉन्ट अलग है.

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6. PFI की रैली में नहीं बांधे गए RSS कार्यकर्ताओं के हाथ

सोशल मीडिया पर केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया कि ISIS के स्टाइल में इन युवकों को बांधकर सड़क पर इनका जुलूस निकाला जा रहा है. वीडियो में इस परेड में शामिल लोग RSS की ड्रेस पहने हुए दो लोगों के हाथों को बांधकर सड़क पर घुमाते दिख भी रहे हैं.

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वीडियो में हाफ खाकी पैंट में दिख रहे दोनों लोग PFI के ही कार्यकर्ता हैं. और जिन लोगों ने उन्हें रस्सी से बांध रखा है वो भी इसी संगठन से जुड़े लोग हैं. ये सिर्फ एक सांकेतिक जुलूस था न कि सच में RSS कार्यकर्ताओं को रस्सी बांधकर घुमाया जा रहा था.

PFI के जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने वेबकूफ को बताया कि वीडियो PFI के एक सांकेतिक प्रोग्राम का है जिसमें मालाबार के लोगों और अंग्रेजों के बीच साल 1921 में हुई लड़ाई के बारे में सांकेतिक रूप से दिखाया गया था.

हमने केरल के पुलिस अधिकारियों से भी बात की उन्होंने बताया कि हमें इस रैली के अयोजन की जानकारी थी और हमें दोनों पक्षों से किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने कहा, “जिस दावे के साथ वीडियो को शेयर किया जा रहा है वो भ्रामक है. इस तरह की कोई शिकायत नहीं की गई है कि PFI कार्यकर्ताओं ने RSS के सदस्यों पर हमला किया है

पूरी पड़ताल के लिए यहां पढ़ें

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