महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) नए संसद की लोकसभा में पेश हो गया है. इस विधेयक के पास होने के बाद लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीटें रिजर्व ही जाएंगी. लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के बाद कंगना रनौत से लेकर सपना चौधरी तक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने सोमवार, 18 सितंबर की रात को केंद्रीय कैबिनेट में बिल पेश किए जाने अपनी खुशी जाहिर की. उन्होंने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "हम सभी एक नए युग की शुरुआत देख रहे हैं. हमारा समय आ गया है. यह गर्ल चाइल्ड का समय है (अब कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी.), यह युवा महिलाओं का समय है (अब सुरक्षा के लिए पुरूषों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं), यह अधेड़ महिलाओं का समय है (नहीं आप अनवॉन्टेड नहीं हैं. अब आपके सम्मान में कोई कमी नहीं आएगी), यह बुजुर्ग महिलाओं का समय है (दुनिया को आपके ज्ञान और अनुभव की भी जरूरत है, आपका समय आ गया है), नई दुनिया में आपका स्वागत है. हमारे सपने के भारत में आपका स्वागत है. "
वहीं, 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश होने पर कंगना रनौत ने मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि "यह एक अद्भुत विचार है. यह सब हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी और इस सरकार की महिलाओं के उत्थान के प्रति उनकी विचारशीलता के कारण है."
महिला आरक्षण बिल पर अभिनेत्री सपना चौधरी ने कहा है कि अभी यह बस पहल है. आगे बहुत सारे बिल पास होने बाकी हैं. महिलाओं का इतना समर्थन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करना चाहूंगी.
अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने महिला आरक्षण बिल पर अपना मत बताते हुए मांग की कि "आरक्षण के अंदर आरक्षण दिया जाए".
प्रसिद्ध फिल्म 'राज 3' की अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने भी इस विधेयक की खूब सराहना की. उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि "ये सुंदर काम है जो पीएम मोदी ने किया है. यह एक बहुत ही प्रगतिशील विचार है. आरक्षण विधेयक महिलाओं को समान अधिकार देगा." उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक भारत के लिए एक बड़ा कदम है. पीएम मोदी ने इस विधेयक को लागू करवाने का वादा किया था और वो इसे पूरा कर रहे हैं."
महिला आरक्षण विधेयक क्या है?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है. विधेयक में प्रस्तावित है कि हर आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को बदला जाना चाहिए. यानी इस बार अगर किसी 10 सीट को आरक्षित किया गया तो अगली बार किसी और 10 सीट को आरक्षित किया जाए. पहले वाली सीटों पर दोबारा आरक्षण लागू न हो.
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