ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 15 अक्टूबर को देश में मध्यावधि चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने लेबर पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी जेरेमी कॉर्बिन को चुनाव के पक्ष में मतदान करने की चुनौती दी. जॉनसन ने बुधवार को संसद में तीखी बहस के दौरान कहा कि अगर कॉर्बिन सरकार की ब्रेग्जिट रणनीति के खिलाफ एक ड्राफ्ट के पक्ष में वोटिंग कर सकते हैं तो उन्हें "इस देश के लोगों को अपना दृष्टिकोण रखने की अनुमति देने के लिए" चुनाव का भी समर्थन करना चाहिए. जॉनसन बुधवार को संसद में नयी ब्रेग्जिट नीति की ओर बढ़ते दिखे.
ब्रेग्जिट पर जॉनसन के हाथ लगी निराशा
इससे पहले उन्होंने किसी भी कीमत पर अगले महीने ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से निकालने का वादा किया था, जिस पर संसद में हुए मतदान में उन्हें निराशा हाथ लगी थी.
जुलाई में प्रधानमंत्री बने जॉनसन की ब्रेग्जिट नीति पर 3 सितंबर को संसद में पहली अहम परीक्षा थी. ब्रेग्जिट मुद्दे के एक प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कॉमन्स में हुई वोटिंग में जॉनसन को केवल 301 ने सांसदों ने समर्थन दिया, जबकि 328 सांसदों ने उनका विरोध किया. जॉनसन की अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी के 21 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया.
कंजरवेटिव पार्टी के नेता जॉनसन ने कहा कि अगर सांसद बुधवार को उनके खिलाफ मतदान करते हैं और ब्रेग्जिट के लिए तीन और महीने मांगने के लिए मजबूर करते हैं तो वो चाहेंगे कि 15 अक्टूबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाएं. उन्होंने कहा, "लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा."
जॉनसन का तर्क है कि 31 अक्टूबर को समझौते के साथ या बिना समझौते के ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर लाने की उनकी धमकी, यूरोपीय संघ के 27 दूसरे देशों के नेताओं को बेहतर शर्तों पर सहमत होने के लिए मजबूर करेगी. जॉनसन के आलोचकों का मानना है कि वो आग से खेल रहे हैं क्योंकि आर्थिक क्षति के बीच ब्रिटेन को अलग करने की वजह से उसके अपने पड़ोसी देशों के साथ चले आ रहे लगभग आधी सदी पुराने संबंधों को नुकसान हो सकता है.
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