भारत-चीन के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन ने सिक्किम सेक्टर में भारत के साथ चल रहे गतिरोध को लेकर समझौते की गुंजाइश से इनकार कर दिया है. चीन ने चालाकी से इस 'गंभीर' हालात को सुलझाने का जिम्मा भारत पर डाल दिया है.
भारत में चीन के राजदूत लू झाओहुई ने कहा कि 'गेंद भारत के पाले में है ' और भारत को ये तय करना है कि किन विकल्पों को अपनाकर इस गतिरोध को खत्म किया जा सकता है.
आधिकारिक चीनी मीडिया और थिंक टैंक की युद्ध के विकल्प को लेकर की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, कई विकल्पों के बारे में बातें हो रही हैं. झाओहई ने परोक्ष तौर पर कहा कि युद्ध होना है या नहीं, ये आपकी सरकार की नीति पर निर्भर करता है.
युद्ध छिड़ सकता है: चीनी मीडिया
इससे पहले चीन के सरकारी मीडिया और थिंक टैंक ने कहा था कि इस विवाद से अगर उचित तरीके से नहीं निपटा गया तो इससे 'युद्ध ' छिड़ सकता है. राजनयिक ने कहा कि चीन सरकार इस बात को लेकर बहुत साफ है कि वह हालात का शांतिपूर्ण समाधान चाहती है. इसके लिए इलाके से भारतीय सैनिकों की वापसी 'पूर्व शर्त ' है. झाओहुई ने कहा, ' 'भारतीय सैनिकों की बिना शर्त भारतीय सीमा में वापसी पहली प्राथमिकता है.''
चीन ने भारत में अपने कारोबारियों को चेताया
चीन के एक सरकारी अखबार ने भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों को वहां चीन के खिलाफ बढ़ती नकारात्मक भावना को लेकर सतर्क किया है.
ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन की कंपनियों को वहां चीन विरोधी भावना से निपटने के लिए कदम उठाने चाहिए.
अखबार में 2104 में वियतनाम में चीन विरोधी भावना का जिक्र किया गया है. कहा गया है कि भारत में भी चीन के हितों पर हमला हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सीमा पर छोटे स्तर का भी सैन्य तनाव होता है तो भारत में चीन के लोगों और कंपनियों पर हिंसक हमला हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में काम कर रही चीन की कंपनियों को सतर्क रहने की जरुरत है और उन्हें चीन विरोधी भावना से बचाव के लिए ऐहतियातन कदम उठाने की जरूरत है.
क्या है मामला?
भारत-चीन के बीच पिछले 19 दिन से टकराव चल रहा है. दरअसल, चीनी सेना के एक निर्माण दल का भूटान 'ट्राइजंक्शन' के पास डोक ला इलाके में सड़क बनाने के लिए आने के बाद ये विवाद शुरू हुआ.
डोक ला इस क्षेत्र का भारतीय नाम है, जिसे भूटान डोकलाम के रूप में मान्यता देता है जबकि चीन इसे अपने डोंगलांग इलाके का हिस्सा बताता है.
ऐसे में चीन ने कहा है भारत को चीन-भूटान सीमा वार्ता में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. वो भूटान की तरफ से क्षेत्र को लेकर दावा करने के लिए अधिकृत है. इस गतिरोध पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की हालिया कार्रवाईयों से भारत गंभीर रुप से चिंतित है और उसने चीनी सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है. इस तरह के निर्माण से भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति पैदा हो जाएगी.
वहीं चीन के राजदूत ने कहा कि नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए भारत अपने सैनिकों को तत्काल वापस बुलाए, ये दोनों देशों के हितों से जुड़ा हुआ है.
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