कोरोनावायरस ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है. अमेरिका में COVID-19 से इकनॉमी को लगे झटके ने पिछले दो सप्ताह में एक करोड़ नौकरियां ले ली हैं. यह 2008 की महामंदी के दौरान गई नौकरियों से भी ज्यादा है. पिछले सप्ताह तक वहां 66 लाख लोगों ने अन-एम्पलॉयमेंट बेनिफिट के लिए अप्लाई किया था.
इससे पहले 1982 में 6,95000 लोगों ने Unemployment benefits के लिए अप्लाई किया था. यह अब तक सबसे खराब आंकड़ा माना जाता था. लेकिन पिछले सप्ताह अमेरिका में इस बेनिफिट के लिए अप्लाई करने वालों की तादाद 66 लाख को पार कर गई.
अब महीनों में नहीं हफ्तों में ही आ रही है मंदी
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले जो मंदी तीन-चार महीनों में आती थी वह अब हफ्तों में ही आने लगी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी कितनी बढ़ी है इसका ठीक अंदाजा अभी लगाना मुश्किल है क्योंकि कई लोग Unemployment benefits के हकदार नहीं हैं. इसके अलावा अचानक नौकरियां जाने से इस बेनिफिट के लिए अप्लाई करने वालों की बाढ़ आ गई है. इससे कई लोग अभी अप्लाई नहीं कर सके हैं.
Congressional Budget office ने कहा है कि 2020 की दूसरी तिमाही में बेरोजगारी दर 10 फीसदी पर पहुंच जाएगी. 2021 में बेरोजगारी दर 9 फीसदी के ऊंचे स्तर पर रहने की आशंका है.
अमेरिकी वर्कफोर्स का 20 फीसदी हिस्सा काम पर नहीं जा रहा
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोनावायरस से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से एक करोड़ नौकरियां चली गई हैं.2008 में नब्बे लाख नौकरियां गई थीं. अमेरिका में अधिकतर राज्यों ने गैर जरूरी कारोबारों को बंद रखने का आदेश दिया है. इसकी वजह से अमेरिकी वर्कफोर्स का 20 फीसदी हिस्सा काम पर नहीं जा पा रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अर्थव्यवस्था की मुश्किलों को देखते हुए अमेरिकी संसद ने हाल में दो ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक पैकेज जारी किया था लेकिन इसे पूरी तरह लागू करने में अभी नियमों की अस्पष्टता बनी हुई है. शुरुआत में कोरोनावायरस का असर टूरिज्म, हॉस्पेटिलिटी और इससे जुड़े उद्योगों में दिखा था लेकिन अब यह दूसरी इंडस्ट्रीज में भी तेजी से फैल रहा है
हालात और भयावह होंगे ?
सीएनबीसी ने तो और भयावह हालात पैदा होने की खबर दी है. सीएनबीसी ने फेडरल रिजर्व के अनुमानों का हवाला दिया है. फेड के सेंट लुइस डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट में काम वाले अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि कोरोनावायरस से इकोनॉमी को लगे झटके की वजह से 4 करोड़ 70 नौकरियां जा सकती हैं. यह बेरोजगारी दर को 32 फीसदी तक ले जा सकता है.
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