चीन की ओर से भारत को एनएसजी में शामिल होने पर अड़ंगा लगाए जाने के बीच दोनों देशों के बीच परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पर बातचीत हुई. चीन एनएसजी में भारत का प्रवेश पिछले दो वर्षों से इस आधार पर रोक रहा है कि उसने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं. हालांकि 48 सदस्यीय एनएसजी के ज्यादातर सदस्य भारत के मामले का समर्थन कर रहे हैं.
एनएसजी सदस्यता पर बातचीत नहीं
चीन के सहयोगी पाकिस्तान ने भी 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. बीजिंग भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा कि मंगलवार की बातचीत में दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दे पर बातचीत की. इसमें बहुपक्षीय मंच पर परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार से जुड़े घटनाक्रम, परमाणु मुद्दे , अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण के साथ ही बाहरी अंतरिक्ष के संदर्भ में विज्ञान और टेक्नोलॉजी को एक अहम तंत्र के तौर पर रेखांकित किया गया. हालांकि चीन ने भारत की एनएसजी सदस्यता के मुद्दे का कोई उल्लेख नहीं किया.
मंगलवार की बातचीत पिछले साल डोकलाम में दोनों देशों के बीच 73 दिन के गतिरोध के बाद अपने संबंधों को सुधारने को लेकर नई उम्मीदों के बीच हुई है. खबरों में कहा गया है कि भारत के कई शीर्ष अधिकारी और मंत्रियों के इस महीने चीन की यात्रा करने की उम्मीद है. इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल , विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं. मोदी के भी शंघाई सहयोग संगठन ( एससीओ ) सम्मेलन में हिस्सा लेने का कार्यक्रम है जो कि चीन के किंगदाओ शहर में जून में होना है.
मंगलवार की बातचीत में में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामले ) डॉ. . पंकज शर्मा ने किया जबकि चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय में हथियार नियंत्रण विभाग के महानिदेशक वांग कुन ने किया.
इनपुट - भाषा
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