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Donald Trump के आवास पर FBI ने क्यों मारा छापा, जानिए कौन-कौन से आरोप लगे हैं?

Donald Trump ने पांचवें संसोधन का हवाला देते हुए न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल की जांच में गवाही देने से इनकार कर दिया है

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अमेरिका (America) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के फ्लोरिडा स्थित आवास पर एफबीआई (Federal Bureau of Investigation) ने छापा मारा है. उन्होंने कहा कि पाम बीच (Palm Beach) पर उनके घर मार-अ-लागो को बड़ी संख्या में FBI एजेंट ने अपने कब्जे में ले लिया है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को जब ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास पर रेड मारी गई, उस वक्त वो न्यूयॉर्क में ट्रंप टावर में मौजूद थे.

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रेड की घटना को 'हमला' करार देते हुए ट्रंप ने कहा कि ऐसी घटनाएं केवल तीसरी दुनिया के देशों में होती हैं. ट्रम्प ने इस मामले में अमेरिकी संविधान के पांचवें संसोधन का हवाला देते हुए न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल की जांच में गवाही देने से इनकार कर दिया है.

‘अमेरिका में ऐसा पहली बार हुआ’

एफबीआई की रेड के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिका के लिए काला दिन है. अमेरिका के किसी पूर्व राष्ट्रपति के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एफबीआई की टीम उन दस्तावेजों को खोज हो रही थी, जो ट्रंप अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद व्हाइट हाउस से फ्लोरिडा स्थित घर ले गए थे.

आइए जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप पर किस तरह के आरोप में लगे हैं.

नेशनल रिकॉर्ड से संबंधित आरोप

CBS News की रिपोर्ट के मुताबिक एफबीआई की यह रेड डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा राष्ट्रपति रहते हुए दस्तावेजों से संबंधित है. मार-अ-लागो में एफबीआई की रेड अमेरिका के नेशनल आर्काइव्स रिकॉर्ड के रख-रखाव से जुड़ी जांच से संबंधित है. नेशनल आर्काइव्स अमेरिका की सरकारी एजेंसी है, जो रिकॉर्ड को सुरक्षित रखती है. फरवरी महीने में अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने सरकारी दस्तावेजों के हैंडलिंग को लेकर ट्रंप के खिलाफ जांच के लिए कहा था.

यूएस नेशनल आर्काइव्स एंड रिकॉर्ड्स एडमिनिस्ट्रेशन ने फरवरी में कांग्रेस को बताया था कि उसने ट्रम्प के फ्लोरिडा स्थित घर से व्हाइट हाउस से संबंधित दस्तावेजों के लगभग 15 बॉक्स बरामद किए हैं, जिनमें से कुछ में गोपनीय मैटेरियल थे.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ओवरसाइट कमेटी ने उस वक्त कहा था कि वह ट्रम्प के कार्यों की जांच कर रही है और आर्काइव ने अतिरिक्त जानकारी देने के लिए कहा है.

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अमेरिकी कानून के मुताबिक राष्ट्रपति को सभी तरह के पत्र, सभी दस्तावेज और इमेल्स नेशनल आर्काइव्स को देना होता है.

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई दस्तावेजों को गायब कर दिया था.

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल आर्काइव्स ने कहा कि कुछ दस्तावेजों को फिर से हासिल किया गया था.

डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ की रिपोर्ट को फर्जी बताया था.

न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार मैगी हबेर्मन की आने वाली किताब 'कॉन्फिडेंस मैन' में लिखा गया है कि व्हाइट हाउस के कर्मचारियों को कभी-कभी वॉशरूम में कागज के कलेक्शन्स मिलते थे और इससे पाइप ब्लॉक हो जाती थी. ऐसा माना जाता है कि इन डॉक्यूमेंट्स को डोनाल्ड ट्रंप ही फ्लश करवाते थे.

CBS News की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के एक वरिष्ठ सलाहकार से कहा

मार-अ-लागों में फेडरल एजेंसी की रेड राष्ट्रपति के रिकॉर्ड से जुड़ी थी. नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि यह रेड राष्ट्रपति से जुड़े रिकॉर्ड वाले नियमों के उल्लंघन से संबंधित थी.
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने पहले ही कहा है कि ट्रंप ने 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को जो चुनौती दी है, उसकी जांच चल रही है.
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2021 में यूएस कैपिटल पर हमला

पिछले साल अमेरिका की राजधानी में हुई हिंसा को लेकर भी ट्रंप एक संसदीय जांच का सामना कर रहे हैं. यह घटना उस वक्त हुई थी, जब डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

रिपोर्ट के मुताबिक जांच कमेटी की वाइस चेयरमैन लिज चेनी ने कहा है कि कमेटी न्याय विभाग को ट्रम्प के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने के लिए कई रेफरल कर सकती है, जो पैनल पर एक दिखावटी जांच करने का आरोप लगाते हैं.

2 मार्च की फाइलिंग में कमेटी ने कहा कि यह उम्मीद है कि ट्रम्प और अन्य लोगों ने संयुक्त राज्य को धोखा देने की साजिश रची. यह कानून दो या दो से अधिक लोगों द्वारा सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास को अपराध घोषित करता है.

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जॉर्जिया चुनाव छेड़छाड़ से संबंधित आरोप

डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ कई मामलो में जांच चल रही है, इस लिस्ट में एक जांच जॉर्जिया चुनाव से भी संबंधित है.

अमेरिका में हुए 2020 के चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के ट्रम्प के कथित प्रयासों में जॉर्जिया के अभियोजक की जांच में सबूतों पर विचार करने के लिए मई में एक विशेष जूरी का चयन किया गया था. यह जांच 2 जनवरी, 2021 को जॉर्जिया के राज्य सचिव ब्रैड रैफेंसपर्गर ट्रम्प द्वारा की गई कॉल से संबंधित है.

Wasington Post के पास आईऑडियो रिकॉर्डिंग के मुताबिक ट्रम्प ने रैफेंसपरगर को उनके चुनावी नुकसान को पलटने के लिए वोटों में हेर-फेर करने की बात कही थी.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कानूनी जानकारों ने कहा कि

ट्रम्प जॉर्जिया में कम से कम तीन चुनावी कानूनों के उल्लंघन के आरोपी हो सकते हैं. इनमें चुनावी धोखाधड़ी करने की साजिश, चुनावी धोखाधड़ी करने के लिए आग्रह और चुनावी नियमों के लागू होने में हस्तक्षेप जैसे अपराध शामिल हैं.
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न्यूयॉर्क आपराधिक जांच

न्यूयॉर्क के मैनहट्टन जिले के अटॉर्नी एल्विन ब्रैग (Alvin Bragg) इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या ट्रम्प की पारिवारिक रियल एस्टेट कंपनी ने अपने सहूलियत के हिसाब से बैंक लोन और कम टैक्स बिल प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्तियों के बारे में गलत जानकारी दी.

इस जांच में शामिल दो टॉप वकीलों ने जांच पर सवाल उठाते हुए फरवरी में इस्तीफा दे दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले पर अपने बयान में इस तरह की किसी भी गतिविधियों में शामिल होने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि यह जांच राजनीति से प्रेरित है क्योंकि अटॉर्नी एल्विन ब्रैग एक डेमोक्रेट हैं.

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राष्ट्रपति रिकॉर्ड एक्ट (Presidential Records Act) क्या है?

साल 1978 में, अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पारित किया, इसके मुताबिक जिन दस्तावेजों को पहले ऑफिस होल्डर की संपत्ति माना जाता था, उसे अमेरिकी सरकार की संपत्ति माना गया.

The New York Times ने बताया कि एक कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (Congressional Research Service) रिपोर्ट के मुताबिक यह कानून तब पेश किया गया था जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने व्हाइट हाउस की एक रिकॉर्डिंग को नष्ट करने का प्रयास किया था.

राष्ट्रपति रिकॉर्ड एक्ट (Presidential Records Act) में यह प्रावधान है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद राष्ट्रपति के सभी आधिकारिक दस्तावेज यूएस नेशनल आर्काइव्स (US National Archives) को दिए जाएं.

The Washington Post की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल आर्काइव्स यह तय करेगा कि उनमें से किन दस्तावेजों को संरक्षित, सार्वजनिक या संशोधित करने की जरूरत है. जिन डॉक्यूमेंट्स को उपयुक्त माना जाता है, उन्हें राष्ट्रपति पद छोड़ने के 12 साल बाद सार्वजनिक कर दिया जाता है.

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