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ट्रंप बोले-‘चुनाव हारा तो चुपचाप नहीं हटूंगा’,ऐसे हुआ तो क्या होगा

इस चुनाव का सबसे बड़ा फोकस है पोस्टल बैलट यानी मेल इन वोटिंग.

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अगर मैं हारा तो मतलब है कि चुनाव में धांधली हुई है, ऐसे में देखना होगा कि मैं क्या करूं
डोनाल्ड ट्रंप

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप से एक पत्रकार ने सवाल किया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन से चुनाव हारने या चुनाव जीतने या ड्रॉ होने की स्थिति में क्या वो शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण करेंगे. तो ट्रंप ने इसके जवाब में कहा- 'मैं मतपत्रों को लेकर शिकायत करता आया हूं और वो एक मुसीबत हैं.’

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ट्रंप का ये डरावनी बात है. इसलिए अमेरिका में गंभीर थिंक टैंक और एकेडमिक इस पर बहस कर रहे हैं कि चुनाव में हारने के बाद ट्रंप ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया तो क्या होगा? जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की लॉ प्रोफेसर रोजर ब्रुक्स ने एक वॉर गेम का आयोजन किया. ट्रांजिशन इंटीग्रिटी प्रोजेक्ट के इस गेम में दोनों पार्टियों के समर्थक, कानून विशेषज्ञ, रिटायर्ड सरकारी अधिकारी शामिल हुए.

इस बात पर चर्चा की गई कि विवाद की परिस्थिति में हालात बेहद खराब हो सकते हैं. ट्रंप ने हार नहीं मानी तो अमेरिकी संविधान की अग्निपरीक्षा 20 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी. जब न्यूक्लियर कोड लेकर घूमने वाला अधिकारी कोड को निष्क्रिय करके, अपना बैग उठाकर अपने बॉस के पास चला जाएगा. तब तमाशा पूरा होगा, लेकिन अंत में ट्रंप को वाइट हाउस छोड़ना पड़ेगा.

फिलहाल यही कह सकते है कि चुनाव नतीजा तीन नवंबर को आए ये जरूरी नहीं है. बहुत तमाशा होंगे और लोकतंत्र का भविष्य न सिर्फ US के लिए नहीं पूरी दुनिया के लिए तय होगा.

कौन कर सकता है धांधली?

इस चुनाव का सबसे बड़ा फोकस है पोस्टल बैलट यानी मेल इन वोटिंग. डोनॉल्ड ट्रंप मार्च महीने से हल्ला मचा रहे हैं कि पोस्टल बैलेट में डेमोक्रेटिक पार्टी धांधली करेगी हालांकि इसका उनके पास कोई सबूत नहीं है.

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक ताजा रिसर्च में बताया है कि पोस्टल बैलट वोटिंग पार्टी निरपेक्ष है. इससे किसी पार्टी के वोट शेयर पर कोई फर्क नहीं पड़ता और अगर टर्न आउट ज्यादा हो तो भी वोट शेयर में मामूली फर्क पड़ता है जो किसी भी पार्टी के पक्ष में हो सकता है.

बता दें कि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन एक नए पोल के मुताबिक, लैटिनो वोटरों के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अच्छी-खासी बढ़त रखे हुए हैं. द हिल न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, एनबीसी न्यूज, द वॉल स्ट्रीट जर्नल और टेलीमंडो द्वारा संयुक्त रूप से किए गए सर्वेक्षण में रविवार को खुलासा हुआ कि 62 प्रतिशत लैटिनो ने पूर्व उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करने की योजना बनाई है, जबकि सिर्फ 26 प्रतिशत का ट्रंप के समर्थन में वोट देने की योजना है.

2016 के चुनाव में, तत्कालीन डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने लैटिनो वोटरों का 66 प्रतिशत वोट हासिल किया था, लेकिन यह 2012 में दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने वाले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को मिले 71 प्रतिशत वोट के मुकाबले फिर भी कम ही रहा.

ये भी पढ़ें- क्या अमेरिकी चुनाव में धांधली कर सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप?

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