5 करोड़ यूजर्स के डेटाचोरी मामले में फंसा फेसबुक अबतक की सबसे बड़ी मुसीबत में हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन समेत दुनियाभर के लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कंपनी के मालिक मार्क जकरबर्ग अपनी चुप्पी क्यों नहीं तोड़ रहे हैं. सिर्फ फेसबुक के सीईओ जकरबर्ग ही खामोश नहीं हैं, कंपनी की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जो PR भी संभालती हैं वो भी चुप हैं.
मामले पर कब बोल सकते हैं जकरबर्ग?
रिपोर्ट के मुताबिक, जकरबर्ग अपने कंपनी के कर्मचारियों के साथ शुक्रवार को सवाल-जवाब के कार्यक्रम में शामिल होंगे. वो इस मौके पर डेटा चोरी के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ सकते हैं. पिछले विवादों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि हरबार जब ऐसा कोई विवाद होता है तो मार्क जकरबर्ग या सैंडबर्ग फेसबुक पर लंबे चौड़े पोस्ट के साथ सफाई देते हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
आखिर क्यों परेशान हैं जकरबर्ग?
ब्रिटिश डेटा एनालिटिक्स फर्म ‘कैंब्रिज एनालिटिका’ पर फेसबकु के 5 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी करने और उसका इस्तेमाल ‘चुनाव प्रचार’ में करने का आरोप है. 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ये कंपनी डोनाल्ड ट्रंप को सर्विस दे चुकी है, ये खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स और लंदन ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में किया गया है. अब अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की संसद फेसबुक से सवाल पूछ रही है कि ट्रंप को जिताने में आखिर उन्होंने कैसे मदद की. साथ ही ब्रेक्सिट में कैसे मदद की गई. ब्रिटिश सांसदों ने जुकरबर्ग को पहले की सुनवाई में समिति को गुमराह करने के बाद मौखिक गवाही देने के लिए बुलाया है
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)