अमेरिकी सीनेट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कैपिटल हिल पर हुई हिंसा में शामिल होने के आरोपों से बरी कर दिया है. ट्रंप पर महाभियोग चलाया गया था. बता दें ट्रंप ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन पर कार्यकाल पूरा होने के बाद महाभियोग चलाया गया.
100 सदस्यों वाली अमेरिकी सीनेट में महाभियोग के सफल होने के लिए दो तिहाई (कम से कम 67 वोट) से ज्यादा वोट की जरूरत थी. महाभियोग के पक्ष और ट्रंप के विरोध में 57 वोट पड़े. वहीं ट्रंप के पक्ष में 43 सीनेटर्स ने मतदान किया.
इस महाभियोग पर सबकी नजरें बनी हुई थीं, क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी के ही कई लोग खुलकर ट्रंप का विरोध कर रहे थे. ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के लिए डाले गए वोटों में 7 वोट रिपब्लिकन सीनेटर्स के भी शामिल रहे.
लेकिन कुछ नेता ऐसे भी रहे जिन्होंने ट्रंप की कैपिटल हिंसा के लिए कड़ी आलोचना भी की, लेकिन जब महाभियोग की बात आई तो उन्होंने ट्रंप का साथ देना सही समझा. इस क्रम में रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीनेट मेजॉरिटी लीडर मिच मैक्कॉनेल का नाम अहम है.
उन्होंने ट्रंप के पक्ष में वोट डालने के बाद भी ट्रंप समर्थकों को निशाना बनाया. मैक्कॉनेल ने कहा, "जिन लोगों ने कैपिटल हिल में घुसपैठ की, उनका मानना था कि वे अपने राष्ट्रपति की इच्छा और निर्देशों पर काम कर रहे थे."
ट्रंप के खिलाफ वोट करने वाले 7 रिपब्लिकन सीनेटर्स में नॉर्थ कैरोलिना से रिचर्ड बर, मैन से सुसान कोलिन्स, अलास्का से लिसा मुर्कोव्सकी, ऊटा से मिट रोमनी, लूसियाना से बिल कैसिडी, नेब्रास्का से बेन सैसे और पेंसिल्वेनिया से सीनेटर पैट टूमे शामिल हैं.
बता दें अमेरिका में इससे पहले1868 में एंड्रयू जॉनसन, 1998 में बिल क्लिंटन पर महाभियोग चलाया जा चुका है. वहीं रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग शुरू होने के पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
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