आप आर्थिक जगत की जो खबरें पढ़ते होंगे, उनमें बहुत कॉमन खबरें ये रही होंगी
- पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर का साया
- X देश ने Y पर आयात शुल्क लगाया
- डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर
- पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी
- RBI ने दरों में इजाफा किया, आपका कर्ज होगा महंगा
ट्रेड वॉर ने दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों में खलबली मचा दी है. लेकिन हम आपको बताएंगे कि कैसे ट्रेड वॉर आपकी जेब पर भारी पड़ रहा है या ये आगे भारी पड़ेगा.
ट्रेड वॉर है क्या?
जब अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए या फिर अपने बैलेंस ऑफ ट्रेड को सुधारने के लिए जब पूरी दुनिया के देशों में होड़ मची हो, तब इसे ट्रे़ड वॉर कहते हैं.
ट्रेड वॉर में क्या तरीके अपनाते हैं देश?
इसमें देश इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा देते हैं, एक्सपोर्ट पर टैक्स कम कर देते हैं, सरकारें अपनी इंडस्ट्री के लिए इंसेटिव पैकेज देती हैं.
सिलसिला शुरू होता है ट्रंप के चुनावी वादों से
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की जनता से जो वादे किए, उनमें तीन पॉइंट अहम हैं:
- इंपोर्ट पर लगाम लगाकर घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना
- नौकरियां बढ़ाने के लिए सरकारी खर्चे बढ़ाना
- इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स में छूट देना
ट्रंप ने जैसे ही कुछ वस्तुओं पर इंपोर्ट ड्यूटी की घोषणा की, जवाब में चीन ने भी इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी. बाद में भारत ने भी कुछ सामानों के आयात पर ड्यूटी लगा दी.
डोनाल्ड ट्रंप रोजगार पैदा करने के लिए सरकारी खर्चे भी बढ़ा रहे हैं, जिससे अमेरिकी फेड की ब्याज दरें बढ़ रही हैं. ब्याज दरें बढ़ने से विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकाल रहे हैं और भारत का फॉरेक्स रिजर्व भी कम हो रहा है.
फॉरेक्स रिजर्व कम होने का सबसे ज्यादा असर भारतीय रुपए पर पड़ रहा है. इसी वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया भी लगातार कमजोर होता जा रहा है. चूंकि पेट्रोल के लिए भारत को पेमेंट डॉलर में करना होता है, इसलिए पहले के मुकाबले अब भारत को ज्यादा रकम खर्च करना पड़ रहा है. यही कारण है कि पिछले दिनों लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम में इजाफा देखने को मिला है.
इंपोर्ट महंगा होने और पेट्रोल-डीजल दाम में आग लगने से महंगाई का खतरा मंडराने लगा. महंगाई के डर से RBI ब्याज ने दरें बढ़ाईं, और आप पर EMI का बोझ बढ़ गया. यानी आपके EMI इंस्टॉलेशन बढ़ गए. यहां बात सिर्फ EMI की नहीं है, आप बाकी जो भी इंपोर्टेड वस्तुएं, जैसे मोबाइल, लैपटॉप, कार इस्तेमाल करते हैं, इनके भी दाम बढ़ेंगे.
देश के स्तर पर इसका क्या असर होगा?
- आयात महंगा होगा
- ब्याज दरें बढ़ेगी
- कर्ज महंगा होगा
- महंगाई और बेरोजगारी, दोनों बढ़ेगी
- राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने की आशंका
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