बांग्लादेश में एक बार फिर से राजनीतिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं. बांग्लादेश की संसद में विपक्षी दलों ने दोबारा चुनाव कराने का मुद्दा उठाया है. विपक्ष का आरोप है कि दिसंबर में हुए चुनावों में धांधली हुई है.
प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करते हुए सत्ता पर काबिज हुई है. नई सरकार बनने के बाद बुधवार को शुरू हुए संसद सत्र के दौरान विपक्ष ने देश में फिर से चुनाव कराने की मुद्दा उठाया.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अगर छह महीने के अंदर चुनाव नहीं कराए जाते हैं, तो वे संसद का बहिष्कार करेंगे और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने राजधानी ढाका में चुनावों के खिलाफ प्रदर्शन किया और फिर से चुनाव कराने का रास्ता साफ करने के लिए नई सरकार से इस्तीफे की मांग की.
11वीं राष्ट्रीय संसद के पहले सत्र की शुरुआत में अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी और उपाध्यक्ष मोहम्मद फजले रब्बी को फिर से उनके पदों के लिए चुना गया. राष्ट्रपति अब्दुल हमीद ने अध्यक्ष को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. शिरीन शर्मिन चौधरी नौवें और दसवें संसद में भी सदन की अध्यक्षता कर चुके हैं.
दिसम्बर में हुए चुनावों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी महज 8 सीटों तक सिमट कर रह गई. बीएनपी ने पिछली बार भी आम चुनावों का बहिष्कार किया था.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ आम चुनाव में जीत दर्ज की थी. उस समय भी विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बांग्लादेश संसदीय चुनाव में शानदार जीत पर शेख हसीना को बधाई दी थी.
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