कई दिनों के इंतजार के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप हार गए हैं और जो बाइडेन के युग का आगाज हो गया है. कमला हैरिस अमेरिकी की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनने वाली हैं. बाइडेन 46वें राष्ट्रपति बन जाएंगे.
7 नवंबर को पेंसिल्वेनिया में न्यूज एजेंसी AP और कई अमेरिकी न्यूज चैनल के बाइडेन की जीत की घोषणा के बाद उनका राष्ट्रपति बनना तय हो गया.
पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को उत्सुकता के साथ फॉलो कर रही थी. इस चुनाव की कवरेज और भी खास रही क्योंकि दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव महामारी के बीच हुआ था. इसके अलावा टर्नआउट भी रिकॉर्ड रहा और साथ ही कई रिकॉर्ड भी बने.
देखिए भारतीय और इंटरनेशनल मीडिया ने जो बाइडेन की जीत को किस तरह रिपोर्ट किया.
‘सेहतमंद होने का समय’
द न्यू यॉर्क टाइम्स की टॉप स्टोरी की हेडलाइन थी- ‘Biden Wins Presidency, Ending Four Tumultuous Years Under Trump’ (बाइडेन ने राष्ट्रपति पद जीता, ट्रंप के तहत उतार-चढ़ाव के चार सालों का अंत).
आर्टिकल में लिखा गया: "बाइडेन की जीत को 'एकता और सेहतमंद होने के एक मैसेज' के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन निर्वाचित राष्ट्रपति को खुद को उन कठिन संकटों के बारे में याद दिलाना होगा, जो उनका इंतजार कर रहे हैं."
द वाशिंगटन पोस्ट के पहले पेज पर ही ‘सेहतमंद होने का समय’ हेडलाइन लिखा था. कई आर्टिकल में बाइडेन की जीत के बाद 'अमेरिका की सड़कों पर जश्न, नाच, गाना, नारेबाजी और चुनाव नतीजों के लिए चार दिन के इंतजार के बाद भावनाओं के बहने और राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ चार सालों की निराशा और गुस्से' का जिक्र था.
कमला हैरिस ने इतिहास रचा, ट्रंप के झूठे दावे
द गार्डियन का पेज ऐसे आर्टिकल से भरा पड़ा था, जिसमें कमला हैरिस के 'अमेरिकी की पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति' बनने पर इतिहास रचने की खबरें थीं.
कई रिपोर्ट्स की समरी में ये सब लिखा था: 'पहले दुनिया ने अराजकता का मजाक बनाया, फिर बधाइयों का सिलसिला शुरू हुआ', 'बाइडेन की जीत से ट्रंप की लोकतंत्र और सच के खिलाफ लड़ाई का अंत हुआ', 'डोनाल्ड ट्रंप का हार मानने से इनकार और मुकदमे शुरू'.
गार्डियन ने लिखा कि बाइडेन की जीत का अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी स्वागत कर सकते हैं.
अखबार ने इस बात पर भी टिप्पणी की है कि 'ट्रंप ने चुनाव के आखिरी घंटों में भी झूठे दावे' किए.
ट्रंप की 2016 के जीत vs बाइडेन की 2020 जीत
USA टुडे बधाइयों के मेसेज से भरा पड़ा था और इस बात की विस्तृत जानकारी भी दी गई थी कि कैसे 'बाइडेन की आरामदायक जीत से ट्रंप के नतीजों के खिलाफ लड़ने की कोशिशों को धक्का पहुंचेगा'. जिन राज्यों में ट्रंप हारे हैं, वहां वो 'एब्सेंटी और मेल-इन बैलट को लेकर निराधार दावे कर रहे हैं.'
भारतीय मीडिया ने हैरिस की तारीफ की, ट्रंप की आलोचना
भारत में मीडिया संगठनों ने हैरिस के भारतीय मूल के होने की बात प्रमुखता से रखते हुए बधाई दी और तारीफ की. ट्रंप की विभाजनकारी राजनीति के लिए उनकी आलोचना हुई.
द टेलीग्राफ के संडे एडिटर फ्रंट पेज पर बोल्ड लेटर्स में लिखा था: ‘America, unlike India, makes America great again’ (भारत से उलट अमेरिका ने अमेरिका को फिर से महान बनाया).
अखबार ने टिप्पणी की, कि 'कैसे लाखों वोटर ट्रंप के विभाजनकारी रवैये और अराजकतापूर्ण प्रशासन से थक गए थे.'
इकनॉमिक टाइम्स पर मुख्य स्टोरी की हेडलाइन थी ‘White House Turning Blue’. इसके अलावा कहा गया कि ट्रंप की शुरू की गई अराजकता के बीच 'चुनाव अभी खत्म नहीं हुआ है' और कैसे 'लोगों ने धैर्य के साथ अमेरिकी लोकतंत्र के पहियों के घूमने और नतीजा देने का इंतजार किया.'
द टाइम्स ऑफ इंडिया की टॉप हेडलाइन थीं- ‘We did it Joe: Kamala Harris’ (हमने कर दिखाया जो: कमला हैरिस) और ‘Joe Jeeta, Wohi Sikhandar’ (जो जीता, वही सिकंदर).
अमेरिकी अखबारों और टीवी चैनलों ने इस चुनाव में अपनी सही भूमिका निभाते हुए डोनाल्ड ट्रंप के हर झूठे दावे की सच्चाई लोगों के सामने रखी.
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