आतंकवाद या जंग प्रभावित इलाकों में जान हथेली पर रखकर आप तक पल-पल की खबर पहुंचाने वाले पत्रकारों का काम कितना जोखिम भरा होता है, इसका हालिया उदाहरण है सोमवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ दोहरा आत्मघाती बम विस्फोट. इस घटना में 10 पत्रकारों ने अपनी जान गंवा दी. इस घटना के बाद दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
शुक्रवार को दिल्ली में 'फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया' की और से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर चर्चा की गई कि क्या अफगानिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश है? इस मौके पर भारत में अफगानिस्तान के राजदूत डॉ. शायदा मोहम्मद अब्दाली ने अपनी राय रखी.
यहां देखें कार्यक्रम का अंश:
'मीडिया की आवाज को दबा नहीं पाएंगे आतंकी'
डॉ. शायदा मोहम्मद अब्दाली ने कहा कि पत्रकारों को निशाना बनाने वाले आतंकी दरअसल मीडिया की ताकत से खौफ खाते हैं. मीडिया आतंकवाद का असली चेहरा दुनिया के सामने लाकर उनके मंसूबों को नाकामयाब करती है. यही वजह है कि वो पत्रकारों को डराना चाहते हैं और इसीलिए उन पर हमले किये जाते हैं.
डॉ. अब्दाली ने उम्मीद जताई कि इस तरह के कायराना हमले करके आतंकी मीडिया की आवाज को दबा नहीं पाएंगे और अफगानिस्तान समेत दुनियाभर के मीडिया समूह एक साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखेंगे.
डॉ. शायदा मोहम्मद अब्दाली ने बताया कि काबुल में पत्रकारों पर हुए आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान सरकार ने मीडिया समूहों के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त बैठक की है और अफगानिस्तान में पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने का भरोसा दिया गया है.
चर्चा शुरू होने से पहले अफगानिस्तान में मारे गए पत्रकारों की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया के अध्यक्ष एस. वेंकट नारायण और साउथ एशियन वीमेन इन मीडिया (SAWM) की अध्यक्ष ज्योति मल्होत्रा भी चर्चा में शामिल रहे.
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