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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा-भारत बने मुक्तिदाता, चीन रहे दूर

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से हस्तक्षेप कर संकट सुलझाने को कहा 

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मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने भारत से अपने देश को राजनीतिक संकट से निजात दिलाने के अपील की है. नाशीद ने चीन को खरी-खोटी सुनाई है. नाशीद ने भारत को मुक्तिदाता का रोल अदा करने के लिए कहा है.

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चीन ने कहा है कि मालदीव संकट का हल सैनिक हस्तक्षेप से नहीं बल्कि बातचीत के जरिये होना चाहिए. लेकिन नाशीद ने ट्वीट कर कहा चीन की यह सलाह इस देश के हालात को और उलझा देंगे. मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चीन के करीबी हैं. उन्होंने सोमवार को देश में इमजरेंसी लगा कर दो शीर्ष जजों को गिरफ्तार करवा दिया था. लेकिन नाशीद भारत के समर्थक हैं और उसे भरोसेमंद मानते हैं.

चीन की ओर से मामले को बातचीत से सुलझाने की सलाह को खारिज करते हुए नाशीद ने कहा कि चीन का यह नुस्खा हमें विद्रोह को और तेज करने के लिए कहने जैसा है. यह स्थिति अराजकता पैदा करेगी.

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नाशीद ने कहा है कि मालदीव के लोग भारत के रोल को सकारात्मक मानते हैं. 1988 में भारतीय सेना यहां आई. उसने संकट सुलझाया और वे वापस चले गए. नाशीद की पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी कोलंबो से काम कर रही है. पार्टी ने मंगलवार को भारत से हस्तक्षेप की अपील की थी.

नाशीद ने कहा था, हम चाहते हैं कि भारत सरकार एक दूत भेजे. यह दूत सेना लेकर आए और जजों और राजनीतिक बंदियों को रिहा करवाए.

पचास साल के नशीद मालदीव के लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए राष्ट्रपति रहे हैं, उन्हें मार्च 2015 में आतंक के आरोप में 13 साल की सजा सुनाई गई थी. उन पर अपने शासन के दौरान क्रिमिनल जज अब्दुल्ला मुहम्मद की गिरफ्तारी का आरोप है. कई देशों के दबाव के बाद उन्हें इलाज के लिए बाहर भेजा गया. उन्हें ब्रिटेन में राजनीतिक शरण दी गई है.

इनपुट : पीटीआई

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