चीन ने दावा किया है कि पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इसी हफ्ते होने वाली मीटिंग की मेजबानी वुहान शहर में होने का कोई राजनीतिक महत्व नहीं है.
साथ ही चीन ने कहा कि मोदी-जिनपिंग की मुलाकात वुहान शहर में कराने का फैसला दोनों देशों के बीच चर्चा के बाद किया गया है.
दरअसल, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग से सवाल किया गया था कि 27-28 अप्रैल को होने वाली मुलाकात के लिए वुहान शहर को क्यों चुना गया. इस पर लू ने जवाब दिया, ‘‘मुझे नहीं मालूम कि इस सवाल में आपकी इतनी रुचि क्यों है.''
इसके पहले दोनों नेताओं की मुलाकात शी के गृह नगर शियान में हुई थी. शियान एक ऐतिहासिक शहर है और भारत-चीन संबंधों में यह करीब से जुड़ा रहा है.
लू ने पत्रकारों से कहा कि दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकात के लिए तैयारियां दोनों देशों के बीच चर्चा के बाद पूरी की गईं. वुहान मध्य चीन के हुबेई प्रांत में स्थित है. यह शहर यांग्त्जी और हान नदियों के बीच स्थित है. ये मध्य चीन में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है.
कई झीलों और पार्कों वुहान शहर में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग की प्रसिद्ध कोठी भी है, जहां उन्होंने कई विदेशी नेताओं की मेजबानी की थी.
वुहान शहर क्यों है महत्वपूर्ण?
वुहान में कोई सम्मेलन 64 साल के शी के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उन्हें माओ के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली नेता समझा जाता है. शी ने पांच साल का अपना दूसरा कार्यकाल पिछले महीने ही शुरू किया था.
शी के लंबे समय तक सत्ता में बने रहने की उम्मीद है, क्योंकि संसद ने राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा को हटा दिया है. चीन ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस बैठक को आयोजित करने के लिए समान सहमति साझा की है, ताकि यह चीन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद दे सके.
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