इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता है. नोबेल पुरस्कार जूरी ने बताया कि अबी को ‘‘शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग हासिल करने की कोशिशों के लिए और खास तौर पर पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने की निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.’’
अबी को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में 100वें नोबेल शांति पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया. उन्हें दिसंबर में यह पुरस्कार दिया जाएगा. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए 223 लोगों और 78 संगठनों सहित 301 उम्मीदवारों को नामांकित किया गया था. अबी के अलावा पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को भी इस पुरस्कार की दौड़ में मजबूत दावेदार माना जा रहा था.
अप्रैल 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अबी अपने देश में कई उदारवादी सुधार लेकर आए हैं. उन्होंने हजारों एक्टिविस्ट्स को जेल से रिहा किया है. अबी के कार्यकाल में कई महिलाओं की अहम पदों पर नियुक्ति हुई है.
जाहिर तौर पर अबी की सबसे बड़ी उपलब्धि इरिट्रिया के साथ अपने देश इथियोपिया का सीमा संघर्ष सुलझाने को माना जाता है. उन्होंने ना सिर्फ यह संघर्ष सुलझाया, बल्कि वह इरिट्रिया की राजधानी अस्मारा भी गए, यहां उनका रॉक स्टार की तरह स्वागत किया गया. इसके अलावा उन्होंने सूडान, सोमालिया और जिबूती जैसे अफ्रीकी देशों में भी शांति कायम करने की कोशिशों में अहम भूमिका निभाई.
मुस्लिम पिता और क्रिश्चियन मां के बेटे अबी का जन्म साल 1976 में इथियोपिया में ही हुआ था. अबी के पास शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर डॉक्टरेट डिग्री से लेकर ट्रासफॉर्मेशन लीडरशिप में मास्टर डिग्री तक है.
उन्होंने इथियोपिया में सैन्य तानाशाही के खिलाफ लड़ाई में भी हिस्सा लिया था. बाद में उन्होंने रवांडा में UN पीसकीपर के तौर पर भी काम किया था. इरिट्रिया के साथ 1998-2000 सीमा संघर्ष के दौरान उन्होंने एक जासूसी टीम का नेतृत्व भी किया था.
राजनीति में अबी की एंट्री साल 2010 में हुई, जब वह ओरोमो पीपुल्स डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन के सदस्य बने. इसके बाद जब वह संसद के सदस्य चुने गए, उस दौरान इथियोपिया में मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच तनाव देखा जा रहा था. ऐसे में अबी ने 'शांति के लिए धार्मिक फोरम' के गठन से इस समस्या का समाधान खोजने में अहम भूमिका निभाई.
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