इस साल साहित्य में नोबेल प्राइज सस्पेंड होने की संभावना पैदा हो गई है. दरअसल, नोबेल प्राइज देने वाली संस्था सेक्स स्कैंडल में फंस गई है जिसके बाद 2018 में साहित्य का नोबेल देने पर संकट के बादल छा गए हैं.
क्या है मामला?
बीबीसी की गुरुवार की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रेंच फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट के कथित सेक्सुअल एब्युज को लेकर स्वीडिश एकेडमी आलोचनाओं के घेरे में है. अरनॉल्ट की शादी एकेडमी के एक पूर्व सदस्य के साथ हुई है. एकेडमी को यह फैसला करना है कि क्या इस साल ये पुरस्कार दिया जाएगा क्योंकि एकेडमी के कुछ सदस्य ये पुरस्कार देने को लेकर चिंतित हैं और वे इसके लिए स्थिति को अनुकूल नहीं बता रहे हैं.
पिछले साल नवंबर में 18 महिलाओं ने ‘मी टू’ आंदोलन के माध्यम से अरनॉल्ट पर यौन हमला और उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. एकेडमी की परिसंपत्ति को लेकर भी कथित तौर पर कई आरोप लगाए गए हैं. अरनॉल्ट ने सभी आरोपों से इनकार किया है.
संगठन ने उनकी पत्नी और कवयित्री-लेखिका कटरीना फ्रोस्टेनसन को 18 सदस्यीय कमेटी से निकालने को लेकर वोट किया. इसके अगले दिन एकेडमी की स्थाई सदस्य सारा डेनिअस ने कहा कि संस्थान ने कथित आरोपों के बाद अरनॉल्ट से पूरी तरह संबंध तोड़ लिया है. उनपर एकेडमी के कर्मचारी और सदस्यों के रिश्तेदारों के साथ अवांछित यौन संबंध बनाने के आरोप हैं. डेनिअस समेत अब तक एकेडमी के 6 सदस्यों ने अपना इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले 1943 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार द्वितीय विश्व युद्ध को लेकर स्थगित कर दिया गया था.
क्यों दिए जाते हैं नोबेल प्राइज?
अल्फ्रेड नोबेल की याद में नोबेल प्राइज दिए जाने की शुरुआत की गई. डाइनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की 1896 में मौत हो गई थी. इसके बाद जब उनके वसीयत को देखा गया, तो उनके रिश्तेदारों समेत कई लोग हैरान थे. क्योंकि नोबेल ने अपनी संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा नोबेल प्राइज के लिए दे दिया था.
उनकी वसीयत में लिखा गया-
ये पुरस्कार उन लोगों के लिए जिन्होंने पिछले सालों में मानव जाति के हित लिए सबसे बड़ा काम किया हो.
उनकी मौत के 5 साल तक ये विवाद चलता रहा फिर आखिर में साल 1901 में पहली बार नोबेल प्राइज का ऐलान हुआ. तब से लगातार ये सिलसिला चलता रहा है. बता दें कि सभी कैटेगरी में अबतक 49 बार ऐसे मौके आए हैं जब नोबेल प्राइज नहीं दिया गया.
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