अफगानिस्तान से अपने हाथ खींचने की अमेरिकी समयसीमा 11 सितंबर है, इसके कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अहम बयान दिया है. शाह कुरैशी ने 14 जून को कहा कि 'अफगान शांति की प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी होने पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाएगा तो हम पहले ही साफ कर दें कि हम इसकी जिम्मेदारी नहीं लेंगे.'
पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान ऐसे वक्त में आया है जब यूनाइडेट स्टेट्स और उसके साथी अफगानिस्तान से निकलने की तैयारी में हैं.
पाकिस्तानी अखबार डॉन से बातचीत में कुरैशी ने कहा-
मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. लेकिन कुछ बातें मैं पहले ही साफ कर देना चाहता हूं. अगर वॉशिंगटन लौटने का उद्देश्य ये है कि इसके बाद नए आरोप-प्रत्यारोप किए जाएं और पाकिस्तान को सारी पापों का जिम्मेदार ठहराया जाए. इससे कोई फायदा नहीं होगा.शाह महमूद कुरैशी, विदेश मंत्री, पाकिस्तान
इस्लामाबाद में पाक-अफगान द्विपक्षीय बातचीत को संबोधित करते हुए कुरैशी ने कहा था कि 'अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया एक साझी जिम्मेदारी है. अफगानिस्तान में अगर गलत होता है तो केवल पाकिस्तान ही जिम्मेदार होगा.'
विदेश मंत्री कुरैशी ने अफगानिस्तान की जरूरतों पर जोर देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो समझौता कर सके. ये अब अफगानिस्तान के लोगों पर है कि वो अपने देश को कहां ले जाना चाहते हैं. उन्होंने पाकिस्तान के तालिबान के साथ संबंधों को नकारा था.
कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आरोप-प्रत्यारोप से कुछ हासिल नहीं होगा. हालांकि कुरैशी ने अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयानों पर ऐतराज जताया था.
अमेरिका के अफगानिस्तान से लौटने को लेकर सबसे बड़ा डर यही जताया गया था कि धीरे-धीरे मजबूत हो रहा तालिबान फिर से देश पर कब्जा कर सकता है. केंद्रीय अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार का प्रभाव और नियंत्रण है लेकिन दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों पर तालिबान का दबदबा है. बाइडेन के वापसी ऐलान से पहले ही इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि सेना हटते ही तालिबान 1996 को दोहरा सकता है.
क्या अब भी तालिबान पा सकता है नियंत्रण?
जो बाइडेन अफगानिस्तान में सेना की भारी मौजूदगी के पक्ष में कभी नहीं रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप कार्यकाल में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ था, जिसके मुताबिक US सैन्य बलों को 1 मई 2021 तक वापसी करनी थी. ये डेडलाइन पूरी कर पाना नामुमकिन था. इसलिए बाइडेन ने ऐलान किया कि सेना की वापसी 11 सितंबर तक पूरी होगी. 11 सितंबर अमेरिका पर हमले की बरसी का दिन होगा. इस भयानक हमले को 20 साल पूरे हो जाएंगे.
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