ईसाईयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में पादरियों और बिशप की ओर से ननों के यौन उत्पीड़न की बात स्वीकार कर ली है. ऐसा पहली बार हुआ है जब पोप फ्रांसिस ने ननों के यौन उत्पीड़न की बात सार्वजनिक तौर पर मानी है. ये बात उन्होंने यूएई दौरे से लौटते वक्त हवाई यात्रा के दौरान पत्रकारों से कही.
पोप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पिछले हफ्ते वेटिकन से निकलने वाली महिलाओं की एक मैगजीन में ननों के यौन शोषण के बारे में एक आर्टिकल छपा था.
पत्रकारों ने जब पोप से चर्चों में ननों के यौन शोषण के मुद्दे पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा, “चर्च इस समस्या को हल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह कोशिश अभी भी जारी है. कुछ ऐसे पादरी और बिशप हैं, जिन्होंने ऐसा किया है.”
वेटिकन ने दी सफाई
बुधवार को वेटिकन सिटी की तरफ से सफाई दी गई कि पोप ने यह बात शक्ति के दुरुपयोग के उदाहरण के तौर पर कही थी. वेटिकन के प्रवक्ता एलेसांद्रो गिसोट्टी ने कहा कि पोप फ्रांसिस ने जब ननों के यौन उत्पीड़न की बात कही थी, तब इसका आशय शक्ति के दुरुपयोग से था. उन्होंने ननों के यौन उत्पीड़न का उदाहरण भर दिया था.
क्या छपा था मैगजीन में
वेटिकन सिटी में न्यूज पेपर 'ओसरवेतोर रोमानो' की सप्लीमेंट मैगजीन 'वीमेन चर्च वर्ल्ड' में हाल ही में पादरियों और बिशप द्वारा ननों के उत्पीड़न की बात सामने आई थी. इसमें कहा गया था कि कई ननों का गर्भपात कराया गया, या फिर बच्चों की परवरिश उन्हें उनके पिता के बगैर ही करनी पड़ी.
मैगजीन की एडिटर लुसेटा स्कार्फिया ने बुधवार को कहा, “यह पहला मौका है जब न सिर्फ पोप ने, बल्कि एक संस्था के रूप में चर्च ने भी सार्वजनिक रूप से इस दुरुपयोग को स्वीकार किया है. यह बेहद अहम है.”
स्कार्फिया ने कहा कि ननों का यौन शोषण एक वैश्विक मुद्दा है, लेकिन अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में ये खास तौर पर प्रचलित है. ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट चिली, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इटली, केन्या, पेरू और यूक्रेन से भी आई है.
बता दें कि पिछले साल भारत में भी यह मामला चर्चा में तब आया था जब केरल में एक नन ने एक भारतीय पादरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
(इनपुट: PTI)
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